भारत में सीमाई सामरिक महत्व से बनाई गई अटल सुरंग का शनिवार को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. सीमा सड़क संगठन (बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन –बीआरओ BRO) की बनाई ये सुरंग हिमाचल प्रदेश में मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़ती है. इससे लेह तक (संघ शासित क्षेत्र लदाख में) की सड़क यात्रा के समय में पांच घंटे की कटौती होगी. भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया था. प्रधानमन्त्री ने इस अवसर पर प्रोजेक्ट से जुड़े तमाम लोगों को बधाई दी और इसे बनाने में पेश आईं चुनौतियों व दिक्कतों का सामना करने लिए उनकी प्रशंसा की.
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने आज के इस मौके को ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि इससे भारत के सीमाई क्षेत्र के ढांचे को मज़बूती मिलेगी. इस अवसर पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे. अपने सम्बोधन में उन्होंने इस परियोजना के पूरा होने में देरी के लिए पूर्व की कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को न सिर्फ दोषी ठहराया बल्कि ये भी इलज़ाम लगाया कि पूर्व सरकार ने भारत के रक्षा हितों से समझौता किया है. इसी सन्दर्भ में उन्होंने लदाख स्थित दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी का भी ज़िक्र किया जो बरसों बाद शुरू की गई.
प्रधानमन्त्री मोदी ने का दावा था कि सामरिक नजरिये से अहम ऐसे दर्जन भर से ज्यादा प्रोजेक्ट होंगे जिनको बनाने में देरी हुई या जिन्हें नज़रन्दाज़ किया गया. इसके लिए उन्होंने पूर्व की सरकारों को दोषी ठहराते हुए इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का हवाला दिया.
प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा, ” साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालत ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर यानी डेढ़ किलोमीटर से भी कम काम हो पाया था”. उन्होंने कहा,” एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से अटल टनल का काम उस समय हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जा करके शायद पूरी होती”.
सामरिक रूप से बेहद अहम रोहतांग पास पर अटल सुरंग को बनाने का निर्णय बीस साल पहले 3 जून 2000 को लिया गया था जब श्री वाजपेयी प्रधानमन्त्री थे. 26 मई 2002 को इस तक पहुँचने वाले रास्ते का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 2019 में केन्द्रीय कैबिनेट ने सुरंग का नाम ‘ अटल सुरंग’ रखने का फैसला लिया था.
हिमालय की पीर पंजाल रेंज में, समुद्र तट से 10 हज़ार फुट की ऊंचाई पर किया गया दुनिया का ये पहला ऐसा राजमार्ग निर्माण है जिसमें 9.02 किलोमीटर लम्बी आधुनिकतम अटल सुरंग भी है. ये घोड़े की नाल के आकार की 8 मीटर चौड़ी एक सुरंग है जिसमें आने जाने का रास्ता अलग है. सुरंग को इस तरह से बनाया गया है जिससे रोजाना 3000 कारों और 1500 ट्रकों की अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आवाजाही सुनिश्चित की जा सके.