भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की तरफ से आयोजित पहली ‘एआई इन डिफेंस’ (एआईडीईएफ) संगोष्ठी और प्रदर्शनी के दौरान, हाल में विकसित 75 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) उत्पादों/प्रौद्योगिकियां लांच कीं. आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के हिस्से के रूप में लॉन्च किए गए ये उत्पाद विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं. इन उत्पाोदों में एआई प्लेटफॉर्म ऑटोमेशन; स्वायत्त/मानवरहित/रोबोटिक्स प्रणालियां; ब्लॉक चेन आधारित स्वचालन; कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस, निगरानी और टोही; साइबर सुरक्षा; मानव व्यवहार संबंधी विश्लेषण; बुद्धिमान निगरानी प्रणाली; घातक स्वायत्त हथियार प्रणाली; लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, परिचालन डेटा विश्लेषिकी; विनिर्माण और रखरखाव; प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का उपयोग करते हुए सिमुलेटर/परीक्षण उपकरण और समभाषण/आवाज विश्लेषण शामिल हैं.
रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) द्वारा ऐसे तीन एआई (artificial intelligence) उत्पाोद विकसित किए गए हैं जिनमें दोहरे उपयोग के अनुप्रयोग और अच्छी बाजार क्षमता है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड का विकसित एआई-सक्षम वॉयस ट्रांसक्रिप्शन/विश्लेषण सॉफ्टवेयर, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड द्वारा विकसित ड्राइवर थकान निगरानी प्रणाली और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और इंजीनियरों की तरफ से विकसित गैर-विनाशकारी परीक्षण के एक्स-रे में वेल्डिंग दोषों के एआई-सक्षम मूल्यांकन की कार्यक्रम के दौरान जांच की गई. इन उत्पादों से रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के लिए व्यापार के नए रास्ते खुलने की उम्मीद जगी है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन 75 उत्पादों के विवरण वाली एक पुस्तक के, भौतिक के साथ-साथ ही ई-संस्करण का भी विमोचन किया. इस पुस्तसक में सेवाओं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू), आईडीईएक्सन, स्टार्ट-अप्सा और निजी उद्योग द्वारा एआई क्षेत्र में पिछले चार वर्षों के दौरान किए गए सामूहिक प्रयासों को प्रदर्शित किया गया है. इन प्रयासों की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में एआई को मानवता के विकास में एक क्रांतिकारी कदम बताया. उन्होंने कहा कि यह प्रमाण है कि मनुष्य इस ब्रह्मांड में सबसे विकसित प्राणी है. उन्हों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि एक मानव मस्तिष्क ने न केवल ज्ञान का सृजन/पुन:उत्पादन किया है, बल्कि ऐसी बुद्धि का विकास किया है जो ज्ञान का सृजन कर रही है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एआई ने रक्षा, स्वास्थ्य और चिकित्सा, कृषि, व्यापार और वाणिज्य तथा परिवहन सहित लगभग हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है. उन्होंने सभी रक्षा हितधारकों से मानव चेतना की संयुक्तता के बंधन को बढ़ाने तथा एआई की योग्येता को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में शामिल करने का आह्वान किया. रक्षा मंत्री ने इस बात की तारीफ़ भी की कि रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बल, डीआरडीओ, डीपीएसयू और उद्योग रक्षा के लिए नवाचार और स्वदेशी एआई समाधान प्रदान करने के लिए सार्थक कोशिश कर रहे हैं और भविष्य की प्रौद्योगिकी भी विकसित कर रहे हैं. उन्होंने सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा भारत को ‘एआई का ग्लोबल हब’ बनाने के लिए एआई-सक्षम और एआई-आधारित अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की तारीफ़ की. उन्होंने यह उम्मीद जाहिर की कि भारत जल्द ही एआई (AI )के क्षेत्र के अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा.
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य के युद्ध में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए हथियारों/प्रणालियों का विकास किया जा रहा है. “हमने रिमोट पायलट मानव रहित हवाई वाहनों आदि में एआई अनुप्रयोगों को शामिल करना शुरू कर दिया है. हमें इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि हम ऑटोमेटिक हथियार प्रणाली विकसित कर सकें. रक्षा क्षेत्र में एआई और बिग डेटा जैसी प्रौद्योगिकियों का समय पर समावेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि हम प्रौद्योगिकी तरक्की में पीछे न रहें और अपनी सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम हो सके.
राजनाथ सिंह ने कहा कि रूस प्रौद्योगिकी रूप से उन्नत देश है और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है. एआई के बारे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि जो कोई भी इस क्षेत्र में दिग्गरज बनेगा वहीं दुनिया का शासक बन जाएगा. हालांकि भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) के सिद्धांत में विश्वास करता है और उसका दुनिया पर शासन करने का कोई इरादा भी नहीं है. हमें अपनी एआई प्रौद्योगिकी क्षमता विकसित करनी चाहिए ताकि कोई भी देश हम पर शासन करने के बारे में सोच भी न सके.
रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने में शिक्षाविदों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय अनुसंधान मंच, डीआरडीओ और रक्षा क्षेत्र सार्वजनिक उपक्रम अत्याधुनिक एआई अनुसंधान को आगे बढ़ाने में विभिन्न संस्थानों को सहायता प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डीआरडीओ द्वारा तकनीकी विकास कोष परियोजनाओं और ‘डेयर टू ड्रीम’ प्रतियोगिताओं के माध्यम से एआई के क्षेत्र में प्रगति करने के प्रयास किए जा रहे हैं. देश में कई रक्षा-उद्योग-अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं और उनमें से अधिकांश के मांग पत्रों में एआई को प्रमुखता दी जा रही है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे देश में वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से प्रशिक्षित युवाओं की कोई कमी नहीं है, उन युवाओं के पास नवाचारी दिमाग है और उनमें राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान करने की इच्छा है. ऐसे में हम आने वाले समय में अपने देश के साथ-साथ दुनिया की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं. यद्यपि रक्षा मंत्रालय के संगठनों का ध्ये य सशस्त्र बलों के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों का विकास करना है, जिसके लाभ नागरिकों को भी उपलब्ध होंगे.
कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने एआई के उपयोग को प्रोत्साहित करने की ज़रुरत पर जोर दिया. उन्होंकने इस दिशा में कोशिश करने के लिए रक्षा मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि सशस्त्र बल अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं. उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में एआई के रणनीतिक एकीकरण के लिए 2018 में एक टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी और तीन महीने में ही उसने अपनी सिफारिशें दे दी थीं. इन सिफारिशों को रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा एआई परिषद के माध्यम से लागू किया गया था. डॉ. अजय कुमार ने इन 75 उत्पादों को विकसित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने में अपना योगदान देने के लिए तीनों सेवाओं, डीआरडीओ, डीपीएसयू और उद्योग की तारीफ की. उन्होंने कहा कि 100 से अधिक परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं.
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, नौ सेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी, वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल संदीप सिंह, रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी, विदेशों के राजदूत, अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद और उद्योग के साथ-साथ छात्र भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
2025 तक 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात को हासिल करने और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय के दृष्टिकोण के अनुरूप, सार्वजनिक क्षेत्र से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और निजी क्षेत्र से इंडो-एमआईएम को ‘रक्षा निर्यात रत्न’ पुरस्कार प्रदान किए गए. इन्होंने हाल के वर्षों में सबसे अधिक रक्षा निर्यात किया है.
भविष्य के एआई समाधानों पर बेहतर नवाचारी विचारों को प्राप्त करने के लिए आयोजित की गई ‘जेननेक्स्ट एआई’ समाधान प्रतियोगिता के तीन श्रेष्ठ छात्रों को रक्षा मंत्री ने सम्मानित किया. रक्षा क्षेत्र में एआई के नए विचारों को प्रोत्साहित करने के लिए सशस्त्रम सेवाओं, शिक्षाविदों, छात्रों, अनुसंधान संगठनों और उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ तीन पैनल चर्चाएं भी आयोजित की गईं. एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसने नवप्रवर्तकों को अपनी क्षमताओं, उत्पादों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने का एक अच्छा मौका मिला.