भारत के पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह कहना है कि जिस अग्निपथ योजना के तहत सैनिकों को अग्निवीर के तौर पर भर्ती किया जा रहा है उस योजना में बदलाव होगा. उन्होंने कहा कि असल में ‘ टूअर ऑफ़ ड्यूटी’ के मूल विचार से मेल खाती किसी योजना को देश में लागू करने के ख्याल से इसकी शुरुआत हुई थी.
दस साल से भारत में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार में दो बार मंत्री रहे भारत के पूर्व चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ ( chief of army staff ) जनरल वी के सिंह का मानना है कि ‘ अग्निपथ योजना ‘ में सुधार किया जाना लाज़मी है और यह सुधार विशेषज्ञों की समिति की सिफारिशों को ध्यान में रख कर किये जाने चाहिए .
सेना , अग्निवीरों की भर्ती , विभिन्न युद्धों के घटनाक्रमों, पड़ोसी देशों से संबंधों , राजनीति आदि से जुडी कई बातें उन्होंने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट पर कहीं. जनरल ( सेवानिवृत्त ) वी के सिंह दो बार गाज़ियाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए लेकिन इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी (bjp ) ने उनको टिकट ही नहीं दिया था जबकि वह दोनों बार भारी बहुमत से जीते थे. हालांकि इस दौरान वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. उनके कई मंत्रालय बदले भी गए लेकिन रक्षा मंत्रालय में उनकी सेवा नहीं ली गई जबकि इसमें वह ज्यादा अच्छे तरीके से काम कर सकते थे. साथ ही उनको हमेशा राज मंत्री का ही ओहदा दिया गया. पहले किसानों के मुद्दे को लेकर और फिर भ्रष्टाचार के मुद्दे , लोकपाल लागू करने की मांग आदि को लेकर चले आंदोलनों से जुड़ते हुए सियासत के मैदान में कूदे जनरल वी के सिंह वैसे अभी भी बीजेपी में हैं.
‘ अग्निवीरों ‘ के मुद्दे पर जनरल वी के सिंह ( gen v k singh ) का कहना है कि किसी भी नई योजना को लागू करने के बाद जब उसकी खामियां नज़र आतीं हैं दो उसमें सुधार किया जाता है. अग्निवीरों की भर्ती और प्रशिक्षण के बाद पहला बैच तैयार हुए एक साल हुआ है . इस दौरान हुए अनुभवों के आधार पर इसमें बदलाव करने की ज़रूरत महसूस की गई है . एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीफ ऑफ़ डिफेन्स जनरल विपिन रावत और उनकी पत्नी व कई अधिकारियों का हेलिकॉप्टर क्रेश होने से हुए हवाई हादसे में निधन एक एक्सीडेंट है. उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक ठाक था . हेलिकॉप्टर उड़ाने वाले अधिकारी पायलट थे , हेलिकॉप्टर में ईंधन भरपूर था और रिहर्सल तक की गई थी. उन्होंने कहा कि यह क्षण में पैदा हुई किसी गड़बड़ी का नतीजा था .
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे अपनी जन्मतिथि से जुड़े विवाद , अपने कार्यकाल के दौरान सेना के एक अभ्यास (गतिविधि ) को सेना के तख्ता पलट से जोड़कर छापी गई खबरों , सेना के वाहनों में खरीद घोटाले और प्रधानमन्त्री को लिखी उनकी गोपनीय चिट्ठी के मीडिया में लीक होने जैसे कई ऐसे घटनाक्रमों पर पूछे गए सवालों के जवाब भी उन्होंने स्पष्टता के साथ दिए. यह ऐसे घटनाक्रम थे जिनके कारण उनकी और केंद्र में आसीन यूपीए सरकार के नेतृत्व में तनातनी रही हालांकि जनरल वी के सिंह का यह भी कहना था कि उनके कार्यकाल के रक्षा मंत्री ए के एंटनी से उनके मधुर संबंध थे.
जनरल वीके सिंह के खानदान और परिवार में उनसे पहले की भी पीढ़ी तो सेना में रही ही है और उनसे अगली पीढ़ी भी सेना में सेवा कर रही है. लेकिन जनरल वी के सिंह का कहना है कि उनके पिता उनको ( वी के सिंह को ) सेना में जाने देने के पक्ष में नहीं थे. 2010 में 24 वें सेनाध्यक्ष के तौर पर सेना की कमान संभालने वाले जनरल वी के सिंह 1970 में सेना में भर्ती हुए थे और इसके साल भर बाद ही छिड़े भारत – पाकिस्तान के उस युद्ध में हिस्सा लिया जिसकी परिणति बंगलादेश के गठन से हुई . जनरल सिंह तब बटालियन के इंटेलिजेंस ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने बड़ी तादाद में कैम्प में रखी गई बंगलादेशी महिलाओं से बालात्कार किया. पाकिस्तानी सैनिकों को ऐसा करने के लिए आदेश दिया जाता था ताकि नस्ल परिवर्तन किया जाए.
करगिल वार की शुरूआती घटना में लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया की हत्या करके बेरहमी से टुकड़े करने और ऐसी कार्रवाइयों के बारे में जनरल वी के सिंह का कहना था कि पाकिस्तान में सैनिकों को जानबूझकर बर्बरता सिखाई जाती है.
जनरल वी के सिंह अस्सी के दशक में श्रीलंका भेजी गई भारतीय सेना का हिस्सा रहे. वहां उनकी तैनाती तकरीबन 2 साल रही. जनरल वी के सिंह का कहना है कि श्रीलंका प्रकरण में भारत ने अपनी भूमिका गलत तरीके से निभाई. भारत को श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए वहां की सरकार और लिट्टे आतंकवादियों के बीच समझौता कराने या मध्यस्थता की भूमिका निभानी चाहिए थी जबकि वह सरकार के साथ मिलकर लिट्टे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाइयों को अंजाम देने में शुमार हो गया . लिहाज़ा भारत ने लिट्टे को अपना दुश्मन बना लिया. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या लिट्टे आतंकवादियों ने की थी.