भारत की राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक से सेना का 25 महिलाओं का दल मोटर साइकिल पर करगिल के लिए रवाना हुआ है. यह आयोजन ‘ करगिल विजय दिवस 2023 ‘ के उपलक्ष्य में और नारी सशक्तिकरण के तौर पर किया जा रहा है. यह दल लगभग 1000 किलोमीटर की यात्रा तय करके द्रास पहुंचेगा जहां 1999 में पाकिस्तान से लड़े गए युद्ध का स्मारक स्थापित है . सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने महिला मोटर साइकिल दस्ते को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि इस दल में सेना के तीनों अंगों में सेवारत महिला सैनिक तो हैं ही , सैनिकों की पत्नियां और वह वीर नारियां भी है जिनके पतियों ने सेना की सेवा करते हुए जान गंवाई. दिल्ली से रवाना करने के लिए हुए कार्यक्रम के दौरान सेनाध्यक्ष ने इनसे मुलाक़ात की. इस आयोजन को ‘ नारी सशक्तिकरण महिला मोटर साइकिल रैली ‘ नाम दिया गया है . सेनाध्यक्ष के साथ उनकी पत्नी भी थीं. इस अवसर पर सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी पत्नियों के साथ शरीक हुए. मोटर साइकिल दल की सदस्याओं को विदा करने के लिए उनके परिवार के लोग भी आए और सफल यात्रा की शुभकामनाएं दीं .
करगिल युद्ध :
यह मोटर साइकिल सवार महिलाएं द्रास स्थित ‘ करगिल युद्ध स्मारक ‘ पर उन सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी जिन्होंने 1999 में पाकिस्तान के साथ यहां लड़े गये युद्ध में अपनी जानें ग्नावाई थीं . करगिल युद्ध में भारत ने अपने 527 सैनिक गंवाए थे . इस जंग में भारत के 1363 सैनिक घायल हुए थे. पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से अपने 453 जवानों के इस युद्ध में मारे जाने की पुष्टि की है लेकिन एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि करगिल की जंग में पाकिस्तान ने अंदाजन 700 के आसपास सैनिक गंवाए . यह युद्ध 1999 के मई महीने में शुरू हुआ था और इसकी निर्णायक लड़ाई जुलाई के आखरी हफ्ते में लड़ी गई .
इलाके की चुनौतियां :
द्रास केंद्र शासित क्षेत्र लदाख के करगिल ज़िले का इलाका है और दुनियाभर की सबसे ठंडी व कठिनाई भरी भौगोलिक स्थिति वाली जगहों में शुमार होता है . यहां युद्ध करना तो बड़ी बात है साल के सभी बारह महीने में साधारण जीवन जीना भी किसी उपलब्धि से कम नहीं . भारत के इस हिस्से तक सड़क के रास्ते से पहुँचने के लिए श्रीनगर से होकर जाया जाता है लेकिन रास्ते में खतरनाक जोज़िला पास को पार करना होता है. सर्दियों में बहुत ज्यादा बर्फ होने के कारण मार्च – अप्रैल तक यह रास्ता बंद रहता है. अब यहां पर एक सुरंग बनाई जा रही है जिसके पूरा होने पर कश्मीर और लदाख के बीच 12 महीने भू संपर्क रहेगा .