चीन की सीमा से सटे भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में सेना और स्थानीय पुलिस व प्रशासन के बीच टकराव की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद पैदा हुआ विवाद शांत होने के बजाय तूल पकड़ता जा रहा है. अब इस विवाद में भारत की अफसरशाही का नेतृत्व भी कूद गया है. दोनों पक्षों की हिमायत में खेमेबंदी भी हो गई है. दो सैनिकों की गिरफ्तारी और उनके साथ पुलिस की मारपीट से शुरू हुए इस घटनाक्रम में एक तरफ कर्नल स्तर के सैन्य अधिकारी और ज़िले की कमान सम्भाल रहे प्रशासनिक अधिकारी तो भिड़े ही और अब केंद्र सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी भी समर में कूद गये हैं.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के संगठन इंडियन सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज़ (सेन्ट्रल) एसोसिएशन (IC & AS Association) के अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव ने भारत के रक्षा सचिव संजय मित्रा को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के कर्नल एफ बी फिरदौज़ और एडजूटेंट मेजर कौशिक रॉय के नेतृत्व वाली अरुणाचल स्काउट्स की दूसरी बटालियन के जवानों को दोषी ठहराया है. पत्र में कहा गया है कि इन जवानों ने पश्चिम कमेंग जिले के बोमडिला थाने में तोड़फोड़ की और जिलाधिकारी कोमल स्वरूप और पुलिस अधीक्षक के साथ मौजूद अन्य अधिकारियों पर हमला किया.
राकेश श्रीवास्तव ने, नाज़ुक हालात में भी साहसपूर्ण तरीके से निभाई गई भूमिका के लिए जिला पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की तारीफ़ करते हुए उनकी हिमायत की है. साथ ही मांग की है कि इस मामले को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.
वहीँ इस पत्र के 6 नवंबर को लिखे जाने के बाद (शायद जवाब के तौर पर) रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने रात को ट्वीट करके कहा कि सेना के जवानों और पुलिस के बीच हुए घटनाक्रम में लगाये गये आरोपों पर ध्यान दिया जा रहा है. ट्वीट संदेश में ये भी कहा गया कि इस बीच प्रशासन और सेना में सबसे ऊँचे स्तर पर इस पर चर्चा हुई है और किसी भी पक्ष की तरफ से की गई ज़्यादती नजरंदाज नहीं की जाएगी.
इस बीच अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द हिन्दू’ ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया के हवाले से लिखा है कि इस मामले पर रक्षामंत्री और केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू के बीच बातचीत हुई है और किरेन रिजिजू ने अपील की है कि इस मसले को सेना के पुलिस व प्रशासन से टकराव के तौर पर न देखा जाये. दोनों ही पूरे समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं. कोई एक घटना महान संस्थानों की छवि तार तार कर दे, ऐसा नहीं होने दिया जा सकता.
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू के गृह क्षेत्र में हुए इस विवादपूर्ण और अफसोसनाक सिलसिले की शुरुआत 2 नवम्बर को तब हुई जब बोमडिला में बुद्ध महोत्सव के दौरान दो सैनिकों को गिरफ्तार करके थाने में लाया गया. पुलिस का कहना है कि वहां सैनिकों के एक गुट के हंगामे और लोगों से बदतमीज़ी करने की सूचना मिली थी जिस पर बोमडिला के एसएचओ वहां पहुंचे और उनमें से दो जवानों को पकड़कर थाने ले आये. ये दोनों जवान अरुणाचल स्काउट्स की दूसरी बटालियन के थे जो पुलिस के मुताबिक शराब पीये हुए थे और लोगों से बदतमीज़ी कर रहे थे.
वहीं सेना के अधिकारियों का कहना था कि पुलिस ने दोनों सैनिकों के साथ थाने में बुरी तरह मारपीट की और उन्हें हवालात में बंद कर डाला जबकि दोनों ने पुलिस को बताया भी था कि वो सेना के जवान हैं. दूसरी तरफ पुलिस अधिकारियों का कहना था कि दोनों ने थाने में पुलिसकर्मियों से भी बदतमीजी की और इसमें उन्होंने महिला पुलिसकर्मी को भी नहीं बख्शा. पुलिस ने उन्हें काबू करने में उतना ही बल प्रयोग किया जितना शराब का नशा किये किसी बेकाबू शख्स को काबू करने के लिए करना ज़रूरी होता है.
अगले दिन शनिवार को कमांडिंग अफसर कर्नल एफ बी फिरदौज़ अपने साथ एडजूटेंट मेजर कौशिक रॉय को लेकर बोमडिला थाने पहुंचे. उनके साथ कई सैनिक भी थे. पुलिस का कहना है कि सैन्य अधिकारियों ने बोमडिला थाने के प्रभारी से से कहा कि बटालियन से माफ़ी मांगे. आरोप तो ये भी है कि कर्नल ने उन्हें तरह तरह की धमकियां भी दीं.
कर्नल एफ बी फिरदौज़ और एडजूटेंट मेजर कौशिक रॉय के थाने से लौट जाने के बाद वहां बड़ी संख्या में सैनिक आ पहुंचे जिनकी तादाद तकरीबन 100 थी. हथियारों से लैस इन सैनिकों ने थाने पर हमला कर दिया. पश्चिम केमंग के पुलिस अधीक्षक राजा बंथिया का कहना था कि हालात देखते हुए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भी बुलाई गई और सूचना मिलने पर जिलाधिकारी सोनल स्वरुप भी वहां आ गईं. इल्ज़ाम है कि सैनिकों ने जिलाधिकारी सोनल स्वरूप के साथ अभद्रता की और गाली गलौच वाली भाषा इस्तेमाल की. इतना ही नहीं सोनल स्वरूप पर भी हमला किया गया. एसपी राजा बंथिया को भी मामूली चोट लगी. सैनिकों ने थाने की खिड़कियों के कांच और पुलिस वाहनों के शीशे तोड़ दिये.
दूसरी तरफ सेना के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले को सुलझाने के लिए कर्नल एफ बी फिरदौज़ पुलिस अधीक्षक राजा बंथिया के साथ जब बैठक कर रहे थे तो कर्नल के साथ आये सैनिकों को वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उकसाया जिस पर दोनों पक्षों के बीच मारपीट हो गई. दोनों अधिकारी दौड़कर बाहर आये और मामले को शांत किया.
जहां आईएएस अधिकारियों के शीर्ष संगठन ने भी दबाव डालना शुरू किया तो वहीं सैन्य अधिकारी और कईं वरिष्ठ रिटायर्ड सैन्य अधिकारी भी कर्नल एफ बी फिरदौज़ की हिमायत कर रहे हैं.
सेना के अधिकारियों का कहना है कि ये पूरा मामला स्थानीय पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के रवैये की वजह से बिगड़ा. उनका कहना है सबसे बड़ी गलती तो सैनिकों को गिरफ्तार करके पुलिस हिरासत में रखे जाने की ही है. उनके मुताबिक ऐसे हालात में सैनिक के पकड़े जाने पर पुलिस को उसकी यूनिट को खबर करके सेना के हवाले कर देना चाहिए था. सेना खुद ऐसे मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करती.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने लिखा है कि इस मामले में तार्किक और साफ जाँच की ज़रूरत है लेकिन ताकतवर आईएएस संगठन के प्रभाव और रक्षा सचिव को लिखे पत्र से पता चलता है कि क्या होगा. ट्विटर पर टिप्पणी के साथ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया ने पत्र की कॉपी भी अटैच की है.
एक अन्य रिटायर्ड अधिकारी @manmohan16 ने सवाल दागा है कि इस मामले में ADGPI का क्या रुख है? क्या ऊँचे अफसर कमांडिंग अधिकारी को उसके भरोसे छोड़ देंगे? उनकी टिप्पणी है – ये ‘हमारे और उनके’ जैसा कोई केस नहीं है, ये निष्पक्षता, न्याय और सैनिक के गर्व से जुड़ा है. उम्मीद की जाती है कि वर्दीधारी ऊँचे अफसर अपनी रीढ़ खोजें!
सोशल मीडिया पर लगातार बने रहने वाले वकील और भारतीय सेना के पूर्व मेजर नवदीप सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा है कि गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाये गये और पूरी रात निर्दयता से पीटे गये दो सेवारत सैनिकों को छुड़ाने के लिए उनके कमांडर के खुद जाने की हिम्मत करने के लिए कमांडर को कसूरवार ठहराया जा रहा है!