भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेस के मेजर जेम्स खूब तारीफ बटोर रहे हैं

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मेजर जेम्स
मेजर जेम्स

अपनी गलती को कबूल करना और अपने साथियों के लिए डटे रहना एक अच्छे फौजी की पहचान होती है. मेजर जेम्स में ये गुण तो हैं ही, उन्होंने अपनी सूझबूझ से न सिर्फ अपने मातहतों से हुई गलती की ज़िम्मेदारी लेते हुए उसे सुधारा बल्कि एक संवेदनशील मामले के कारण बिगड़ते हालात को भी अच्छी तरह संभाल लिया. उनकी इस खूबी के कारण भारतीय सेना की ज्यादा फज़ीहत होने से तो बची ही साथ ही सैनिकों को उन लोगों ने भी माफ़ी दे दी जो सैनिकों की गोलियां लगने से घायल हुए थे. मेजर जेम्स की सब लोग तारीफ़ कर रहे हैं और उनका वीडियो वायरल हो रहा है.

ये मामला पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले के उस इलाके का है जहां हथियारबंद और विभिन्न तरह के आतंकवादी गुटों की सक्रियता रहती है. ये जगह म्यांमार के आसपास के जंगलों में है. दरअसल उस शाम यहीं के चासा गांव के निवासी 4 नौजवान मछली पकड़कर और शिकार करके लौट रहे थे. शिकार के लिए उनके पास बंदूकें थीं. उस वक्त अँधेरा था. उस इलाके में गश्त पर निकले स्पेशल फोर्सेस के कमांडो टुकड़ी ने शिकारियों को आतंकवादी समझकर उन पर गोली चला दी लेकिन शुक्र है कि घायल नौजवानों के चिल्लाने पर कि वे आतंकवादी नहीं नागरिक हैं, सैनिकों ने हमला रोक दिया. तब तक दो नौजवान नौकप्या वांगदान और रामवांग वंग्सू घायल हो चुके थे. सौभाग्य से गोलियां उनके हाथ पैर में ही लगी जिससे उनकी जान को खतरा नहीं हुआ. मेजर जेम्स ने तुरंत उनके बेहतर इलाज की व्यवस्था कराई.

हादसे के बाद वहां आ गये ग्रामीणों ने सैनिकों को घेर लिया. मेजर जेम्स ने उनको अपना पूरा परिचय देते हुए बताया कि वे 4 पैरा से हैं और उनके साथी सैनिकों ने नौजवानों को आतंकवादी समझने की गलती की थी. मेजर जेम्स ने उत्तेजित गांव वालों को शांत किया और भरोसा दिलाया कि घायलों के उपचार के बन्दोबस्त की और उनको पर्याप्त मुआवज़े की वे ज़िम्मेदारी लेते हैं. वीडियो में मेजर जेम्स गांव वालों को ये कहते हुए भी सुने जा सकते हैं कि वे चाहें तो पुलिस को बुला लें और इस घटना की ज़िम्मेदारी लेते हैं. यही नहीं उन्होंने गांव वालों को ये लिखित रूप से देने की भी खुद ही पेशकश की. घायल नौजवानों को सेना के हेलीकाप्टर से असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया जहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उनका उपचार हुआ.

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारियों ने गांव वालों के साथ बैठक की जिसमें मजिस्ट्रेट, खोंसा थाने के प्रभारी और असम राइफल्स की छठी बटालियन के कमांडेंट मौजूद थे. घायल लोग सेना के खिलाफ एफआईआर या ऐसी कोई कानूनी कार्यवाही न करने पर सहमत थे. इलाज के बाद घायलों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. मुआवज़े के तौर पर उनको दो दो लाख रूपये दिए गए. पूरे इलाज की ज़िम्मेदारी के अलावा उनके जीवन यापन में मदद करने का भरोसा दिया गया. जिस वक्त ये सब चल रहा था तब कुछ लोग इलाके में इसे सेना के खिलाफ मुद्दा बनाकर विरोध प्रदर्शन आदि की तैयारी भी कर रहे थे लेकिन अधिकारियों की सूझबूझ ने स्थिति को विस्फोटक नहीं होने दिया. तिरप ज़िले के उपायुक्त तारो मिज़े ने बताया कि ये सैनिक 12 पैरा (स्पेशल फोर्सेस) के हैं जिनका बेस पश्चिम बंगाल में है लेकिन यहां इनकी टुकड़ी असम राइफल्स के साथ अटैच है जो विभिन्न प्रकार के आतंकवाद रोधक कार्रवाइयां करती है.