पच्चीस साल का जावेद अहमद वाणी कुलगाम के अस्थल गांव के मुहम्मद अयूब का 25 वर्षीय बेटा है. लदाख से पहले जावेद अहमद दक्षिण कश्मीर में भी तैनात रहा है . थल सेना की 9 राष्ट्रीय राइफल्स , पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीमें लापता जवान जावेद की तलाश में जुटीं है जो शनिवार की शाम घर से निकलने के बाद नहीं लौटा . वह आल्टो कार ( JK18B 7201 ) में सवार होकर निकला था .
जावेद के पिता मुहम्मद अयूब का कहना है कि जावेद अहमद ईद के कुछ हे समय बाद छुट्टी लेकर लदाख से अपने गांव आया था. रविवार को उसे ड्यूटी पर लौटना था. पास की मार्केट से वह कुछ सामान खरीदने के लिए गया था. उसे रास्ते में कुछ लोगों ने रोका और अगवा कर लिया . काफी देर बीतने के बाद भी जब जावेद नहीं लौटा तो परिवार ने उसकी तलाश शुरू की. इस बीच सेना और पुलिस ने खबर मिलने के बाद इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया. वहीँ जावेद की मां ने वीडियो में अपहरण कर्ताओं से अपील की, ‘ हमें माफ़ कर दो, मेरे बेटे को रिहा कर दो , मेरे जावेद को छोड़ दो .’
कश्मीर में सैनिकों के अपहरण व हत्या :
बीते कुछ अरसे के दौरान ऐसे दक्षिण कश्मीर में पहले भी मामले सामने आ चुके हैं जब छुट्टी पर गांव आए कश्मीरी सैनिक को आतंकवादियों ने अगवा किए या हत्या कर डाली. बीते साल ही जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंटरी से संबद्ध टेरिटोरियल आर्मी के जवान समीर अहमद मल्ला को लश्कर ए तैयबा के आतंकवादियों ने अगवा करने के बाद मार डाला था. समीर का शव बडगाम के बाग में मिला था. इस वारदात में यूसुफ कंटू नाम का आतंकवादी शामिल था.
लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ :
इससे पहले भी इस तरह के मामले यहां सामने आते रहे हैं और इस दुर्भाग्यपूर्ण और कायराना सिलसिले की शुरुआत 2017 में शोपियन में सेना के नौजवान अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ के अपहरण से हुई थी. आतंकवादियों ने छुट्टियों पर लौटे लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ को एक पारिवारिक कार्यक्रम के दौरान अगवा किया और हत्या करने से पहले यातनाएं भी दीं . राजपुताना राइफल में में तैनात रहे लेफ्टिनेंट उमर फैयाज़ के जबड़े और पेट में गोलियां मारी गई थीं. उनके शरीर पर ऐसी चोटों के काफी गहरे निशान थे जो संभवत बंदूक के हत्थे से प्रहार करने पर होते हैं . इस घटना की पूरे समुदाय के लोगों ने बेहद निंदा भी की थी. 1991 में सेना के एक अधिकारी के साथ हुई घटना के बाद होने वाली इस तरह की यह पहली घटना थी .
राइफलमैन औरंगजेब :
14 जून 2018 को 44 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात राइफलमैन औरंगजेब को आतंकवादियों ने तब अगवा करके मार डाला था जब वह ईद की छुट्टियां मनाने के लिए अपने गांव सलानी जा रहा था. यह गांव पूंछ ज़िले के मेंढर में है . आतंकवादियों ने शोपियां के पास तब यह अपहरण किया जब औरंगजेब प्राइवेट कार में था. आतंकवादियों ने हत्या करने से पहले उसे पेड़ से बाँध दिया था और पूछताछ करते हए उसका वीडियो भी बनाया था. वायरल हुए इस वीडियो में औरंगजेब बेख़ौफ़ हो आतंकवादियों के सवालों का जवाब देते हुए देखा गया था. औरंगजेब के बहादुरी के कारनामों के कारण सरकार ने उसे शौर्य चक्र ( मरणोपरांत ) नवाज़ा था. औरंगजेब की शहादत के बाद बी उसके दो भाई सेना में भर्ती हुए थे. इस परिवार से मिलने खुद तत्कालीन सेनाध्यक्ष बिपिन रावत गए थे . उस समय रक्षा मंत्री रहीं निर्मला सीतारमण भी इस परिवार से जाकर मिलीं थीं . बाद में औरंगजेब के पिता मोहम्मद हनीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की एक रैली में बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की थी .
औरंगजेब की हत्या से पहले दो पुलिसकर्मियों और केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल ( सीआरपीएफ crpf ) के एक जवान की भी तब हत्या हुई थीं जब वह छुट्टी पर घर आए हुए थे .