भारतीय सेना ने इस जांबाज ‘डच’ को किया आखिरी सलाम

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डेकोरेटेड श्वान डच को सैनिक की तरह श्रद्धांजलि दी गई.

उसने वर्दी नहीं पहनी लेकिन वो किसी सैनिक से कम भी नहीं था….! आतंकवादियों और घुसपैठियों से उसने सीधे मुकाबला नहीं किया लेकिन कइयों की जान बचाने के लिये उसने अपनी जान को दांव पर लगाया और वो भी बार बार ….! भारतीय सेना का अहम हिस्सा रहे उस जांबाज़ ने जब आखिरी सांस ली तो उसे अनेक वर्दी वाले देशभक्त जवानों ने सैनिक सलाम दिया. उम्र थी महज़ नौ साल. नाम था – डच. एक गोल्डन लेब्रेडोर श्वान. खोजी विशेषज्ञ कुत्ता.

भारतीय सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय में इसे सेना की आखिरी सलामी देने के लिए जब सब असम के तेजपुर स्थित 19 आर्मी डॉग यूनिट पर इकट्ठा हुए तो वो वाकई बेहद भावुक पल थे. 11 सितम्बर को आखिरी सांस लेने वाले सेना के इस खोजी कुत्ते डच के कारनामे सबकी जबान पर थे. शनिवार को भारतीय सेना की पूर्वी कमान की तरफ से इससे जुड़ी तस्वीरें ट्वीटर पर डाली गईं और साथ ही श्रद्धांजलि संदेश भी लिखा गया, ” डच, पूर्वी कमान का डेकोरेटेड श्वान था जिसने बहुत बार, घुसपैठ रोकने और आतंकवादियों के खिलाफ किये गये ऑपरेशंस के दौरान, आईईडी खोजने में भूमिका निभाई. राष्ट्र की सेवा में रत एक असली हीरो”.

पूर्वी कमान के डेकोरेटेड श्वान डच को सैनिक की तरह श्रद्धांजलि दी गई.

बारूद और बमों को खोजने वाले इस विशेषज्ञ को दो बार भारतीय सेना के पूर्वी कमांडर के प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया जा चुका है जिसने कई लोगों की जानमाल की रक्षा करने में ख़ास योगदान दिया.

भारतीय सेना के खोजी कुत्ते डच के बारूद खोजने के कई किस्से हैं जहां उसने पूरी मेहनत और क्षमता दिखाई. इन्हीं में से एक घटना 2014 के नवम्बर महीने की है जब प्रधानमन्त्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी असम की राजधानी गुवाहाटी गये थे. उस दौरान डच ने पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में कामाख्या एक्सप्रेस ट्रेन में, छिपाया हुआ बम (आईईडी) खोज निकाला था. ये ट्रेन कामाख्या जंक्शन से चली थी और इस गुवाहाटी पहुंचना था. सेना के दस्ते ने इस आईईडी को निष्क्रिय कर दिया था. ऐसा ही एक और आईईडी सेना ने असम के गोलपाड़ा जिले में निष्क्रिय करके कई लोगों की तब जान बचाई जब बस में छिपे इस बम को डच की मदद से खोजा जा सका.

पूर्वोतर राज्यों में घुसपैठ हो या कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशंस हों, सेना को यहाँ बारूदी सुरंग खोजने से लेकर आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई तक में डॉग यूनिट की मदद लेनी होती है. इस श्वानों की बहादुरी और कामयाबियों का लम्बा इतिहास है सेना के पास पूरे देश में 26 श्वान इकाइयां हैं जिनमें कुल मिलाकर तकरीबन 650 कुत्ते हैं.