सेना , अर्ध सैन्य बलों या केन्द्रीय पुलिस बलों के विभिन्न ऐसे आयोजनों के स्थानों के चयन और समय समय पर उनको बदलते रहना अब कोई बात नहीं है. दरअसल यह सरकार की उस नीति का हिस्सा है जो हाल के वर्षों से अपनाई जाने लगी है . देश के अलग अलग हिस्सों में ऐसे आयोजन करने का एक मकसद तो इस तरह के विभिन्न आयोजनों में उस क्षेत्र विशेष की और वहां के लोगों की भी हिस्सेदारी सुनिश्चित करना ही है. इसके अलावा वहां तैनात बलों और यूनिटों को भी ऐसे आयोजनों की तैयारी करने में अपनी सक्रियता , प्रबंधन और प्रतिभा दिखाने के मौके मिलते हैं .
भारतीय थल सेना की देश भर में कुल 6 कमांड हैं . जिस तरह से 2023 में सेना दिवस परेड के आयोजन की ज़िम्मेदारी जब सेना की दक्षिण कमान को दी गई उसने यह आयोजन बंगलुरु में किया गया वैसे ही अब बारी मध्य कमान की है. लखनऊ मध्य कमान के क्षेत्र में आने वाल शहर है लिहाज़ा सेना दिवस परेड वहां करने का फैसला लिया गया . इसी तरह सेना की शेष बची सभी चार कमान बारी बारी से हर साल अपने अपने कमान क्षेत्र में सेना दिवस परेड आयोजित करेंगी.
सेना दिवस परेड का आयोजन भारत के अलग-अलग शहरों में करने के फैसले का उद्देश्य आयोजन स्थलों में विविधता लाना तो है ही , इससे विभिन्न क्षेत्रों को इस कार्यक्रम की भव्यता देखने का मौका देना भी है. यह सिर्फ शहर बदलने के बारे में नहीं बल्कि सेना की विभिन्न कमान पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में हैं. ऐसे आयोजन उन विशिष्ट सांस्कृतिक और क्षेत्रीय परिदृश्य पर गौर करने का भी मौका देता है जिनकी पृष्ठभूमि में सेना काम करती है.
क्यों होती है सेना दिवस परेड :
सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को इस लिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1949 में जनरल केएम करियप्पा ने भारतीय सेना के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर एफआरआर बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली थी . जनरल केएम करियप्पा बाद में फील्ड मार्शल भी बनाए गए. दिल्ली कैंट में जिस ग्राउंड में परम्परागत तौर पर हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस परेड जिद जी ग्राउंड में होती रही उस ग्राउंड का नामकरण भी फील्ड मार्शल करियप्पा के नाम पर किया गया था .
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