सेनाध्यक्ष जनरल पांडे को मिला सेवा विस्तार , कौन बनेगा अगला भारतीय सेना प्रमुख ?

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सेनाध्यक्ष जनरल पांडे
भारत के सेनाध्यक्ष ( chief of army staff ) जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल,  रिटायर्मेंट से सिर्फ 6 दिन पहले (  26 मई को ) , एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. उनकी जगह कौन भारतीय सेना का प्रमुख होगा ? इसका ऐलान सरकार ने अभी तक नहीं किया है . सेना प्रमुख को इस तरह सेवा विस्तार आमतौर पर नहीं होता है. जनरल पांडे को विस्तार देने के पीछे  कारण क्या है यह पता नही चल सका लेकिन माना जा रहा है कि यह निर्णय राजनीतिक स्तर पर लिए गए निर्णयों में से है.

भारत में अगले महीने यानि जून 2024 में  लोकसभा चुनाव के लिए  मतदान प्रक्रिया   सातवां और आखिरी चरण पूरा होने के साथ ही नई सरकार के एक सप्ताह में गठित हो जाने की उम्मीद है. नए सेना प्रमुख का फैसला संभवत तब तक के लिए टाला गया है.  या कहा जा सकता है कि  यह निर्णय नई आने वाली सरकार पर छोड़ दिया गया है .

सेवा विस्तार का निर्णय : 
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ , कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने जनरल मनोज पांडे की सेवा में एक महीने के विस्तार को मंजूरी दे दी.  कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 26 मई को थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज सी पांडे की सेवानिवृत्ति की सामान्य आयु (31 मई) से परे एक महीने की अवधि के लिए ( 30 जून तक) , सेना नियम 1954 के 16 ए (4)।नियम के तहत सेवा में विस्तार को मंजूरी दे दी.

भारत में सेना प्रमुख नियुक्ति के तीन साल  पूरे होने पर या 62 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर, जो भी पहले हो, सेवानिवृत्त हो जाते हैं.  वर्तमान सेना प्रमुख  जनरल पांडे, 6 मई को 62 साल की अवस्था वर्ष की पार कर चुके  और 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे.

कौन हैं जनरल मनोज पांडे ( General Manoj Pande ):
जनरल एमएम नरवणे की सेवानिवृत्ति के बाद जनरल मनोज पांडे ने 30 अप्रैल, 2022 को 29वें सेना प्रमुख  ( chief of army staff ) की भूमिका संभाली.  इस नियुक्ति से पहले, जनरल पांडे ने सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्य किया.नरल मनोज पांडे को  25 महीने के कार्यकाल के बाद 31 मई को सेवा से निवृत्त होना था. उस दिन वह 60 साल के हो जाएंगे. जनरल पांडे इससे पहले भारतीय सेना के उप प्रमुख थे. जनरल मनोज पांडे की नियुक्ति के मामले एक अपवाद यह भी रहा कि जनरल पांडे  भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले कोर ऑफ इंजीनियर्स ( corps of engineers ) के पहले अधिकारी हैं .

अपने प्रतिष्ठित करियर के दौरान, जनरल पांडे ने अंडमान और निकोबार कमान  के कमांडर-इन-चीफ का पद भी संभाला, जो भारत की एकमात्र त्रि-सेवा कमांड है. राष्ट्रीय  रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र, जनरल पांडे को दिसंबर 1982 में कोर ऑफ़ इंजीनियर्स (द बॉम्बे सैपर्स) में नियुक्त किया गया था.

पहले कब कब सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ा:
जनरल पांडे को दिया गया सेवा विस्तार लगभग पांच दशकों में इस तरह का पहला निर्णय है. इससे पहल्रे  इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने अप्रैल 1974 में सेना प्रमुख जनरल जी जी बेवूर  ( general g g bewoor) का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया था, जनरल बेवूर 31 मई, 1975 को सेवानिवृत्त हुए . इसके अगले ही महीने यानि  जून 1975 में  भारत में आपातकाल लागू किया गया था जो 22 महीने रहा.

सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, जनरल बेवूर को दिए गए विस्तार के कारण लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम भगत सेना प्रमुख बने बिना ही सेवानिवृत्त हो गए. जनरल भगत बहुत ही सम्मानित अधिकारी थे.  जनरल बेवूर से पहले, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को 1971 के युद्ध में जीत के बाद विस्तार मिला था. इस युद्ध में पाकिस्तान को शिकस्त खानी  पड़ी थी और उसके दो टुकड़े हुए थे जिनमें से पूर्वी पाकिस्तान बदल कर बंगलादेश बना.

वर्तमान में सेना प्रमुख पद के लिए अन्य दावेदार :
सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे के बाद अगली कतार में लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी हैं .   लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बाद अगली कतार में दक्षिणी कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह हैं. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल सिंह दोनों ही बैचमेट हैं और  30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उसी दिन जनरल पांडे को दिया गया विस्तार भी  समाप्त हो रहा है. वैसे  चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर व्यापक ऑपरेशन  अनुभव रखने वाले है.

 लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार के बाद उप प्रमुख के रूप में पदभार संभाला. अगर नई सरकार लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल सिंह से आगे सोचती है तो मध्य कमान (central command )  के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि मुख्य दावेदार हो सकते हैं.