ब्रिगेडियर हरचरण सिंह ने रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी पूर्व सैनिकों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए समर्पित कर दी है. उनके उल्लेखनीय योगदानों में सैनिक कल्याण बोर्ड में वेटरन्स के डेटा को व्यवस्थित करना ख़ास है ताकि यह सुनिश्चित हो कि लाभ योग्य व्यक्तियों तक पहुँचें. वह ‘नमन’ (NAMAN) प्रोजेक्ट का भी एक अभिन्न हिस्सा हैं, जो वीर नारियों और उनके परिवारों की सहायता करता है. उनकी कोशिशों ने वीरनारियों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता की सुविधा प्रदान की है और गैर सरकारी संगठन, ‘ वार वुंडेड फाउंडेशन ‘ (War Wounded Foundation} के जरिए विकलांग सैनिकों को मदद पहुंचाई है .
हवलदार खजूर सिंह ने सेवानिवृत्ति के बाद वनीकरण और महिला सशक्तिकरण के लिए गज़ब का काम किया है . उन्होंने 2016 में संजीवनी जन कल्याण सेवा समिति की स्थापना की, जो एक गैर सरकारी संगठन है. इस संस्था ने जम्मू-कश्मीर में 1 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं और स्कूल जाने वाली छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाया है. उनके प्रयासों ने समुदाय के भीतर सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा दिया है, जिससे एक उज्जवल भविष्य की प्रेरणा मिली है.
नायक मोहम्मद असलम भट ने सेवानिवृत्ति के बाद, जम्मू-कश्मीर के चेनानी (chenani ) तहसील में कीवी की खेती का शानदार सिलसिला शुरू करने का बीड़ा उठाया है, जिससे बंजर भूमि फलते-फूलते बागों में बदल गई है. उन्होंने आधुनिक खेती की तकनीक अपनाना शुरू की और कइयों को प्रेरित किया . इससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान मिला और कइयों के लिए एक स्थायी आय स्रोत वजूद में आया .