अग्निपथ योजना विवाद : भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवियेट दाखिल की

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अग्निपथ योजना
अग्निपथ योजना

भारतीय सेनाओं में जवानों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना पर देश भर में कई जगह हुई हिंसा , आगज़नी और विरोध प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि योजना के सम्बन्ध में दाखिल कि गई विभिन्न याचिकाओं पर किसी तरह का आदेश देने से पहले उसके (सरकार के) पक्ष को सूना जाए. भारत सरकार की तरफ से याचना सोमवार को वकील हर्ष अजय सिंह की तरफ से दायर की गई ‘ केवियेट ‘ में की गई है.

उल्लेखनीय है कि बीते हफ्ते सरकार ने अग्निपथ नाम की योजना के तहत सेना में चार साल के लिए जवानों की भर्ती का ऐलान किया था. चार साल बाद रिटायर किये जाने वाले इन ‘ अग्निवीरों ‘ में से 25 प्रतिशत को सेना में फिर से सेवा में लिया जाएगा . रिटायर्मेंट के समय इनको एकमुश्त तकरीवन 11 लाख रूपये से ज्यादा की धनराशि सेवानिधि के रूप में मिलेगी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों की मौजूदगी में इस योजना का ऐलान किया था . इसमें साढ़े 17 साल से 21 साल तक की उम्र के नौजवानों को भर्ती किया जाएगा. हालांकि बाद में इस सिर्फ साल के लिए अधिकतम आयु सीमा में छूट देना का ऐलान किया गया.

अग्निपथ योजना के ऐलान के अगले दिन से ही विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे. युवाओं के इस प्रदर्शन और नाराजगी को जायज़ ठहराते हुए कई विपक्षी दलों ने समर्थन भी दिया. बाद में इस विरोध ने हिंसा और आगज़नी की शक्ल ले ली जिसकी शुरुआत बिहार से हुई. फिर ये सिलसिला और राज्यों में भी चालू हो गया. बसों और ट्रेनों को आग लगा रहे और सरकारी सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचा रहे युवाओं को काबू करने और खदेड़ने के लिए पुलिस को जगह जगह बल प्रयोग करना पड़ा और गोली भी चलानी पड़ी. इसके बाद सरकार ने अग्निवीरों को दी जाने वाले कुछ और फायदों का ऐलान किया.

इसी बीच अग्निवीर योजना के विरोध में , इस पर रोक लगाने , पूरे मामले की एस आई टी से जांच कराने आदि की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाओं के दायर किये जाने का सिलसिला चालू हो गया. एक याचिका में एडवोकेट एम एल शर्मा ने सेना में बरसों से हो रही भर्ती प्रक्रिया को खत्म कर बिना संसद की मंजूरी इस योजना को लागू करना को संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन बताया. एक अन्य याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी की तरफ से भी दाखिल की गई .