कर्नल वीपीएस चौहान केस में सस्पेंड कर दिये गये अपर जिलाधिकारी

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कर्नल (रिटा.) वीपीएस चौहान पर मुकदमा दर्ज
रिहाई के बाद कार्प्स आफ मिलिटरी पुलिस के अधिकारी कर्नल (रिटा.) वीपीएस चौहान को लेने जिला जेल पहुंचे थे. Source/ADGPI

नोएडा में कर्नल (रिटा.) वीपीएस चौहान को झूठे मुकदमे में जेल भिजवाने के मामले में गुरुवार को अपर जिलाधिकारी (एडीएम) को उत्तर प्रदेश शासन ने सस्पेंड कर दिया है. शासन ने प्रारम्भिक जांच और मुजफ्फरनगर में तैनात एडीएम व उनके परिवार पर मुकदमा दर्ज किये जाने के बाद यह कार्रवाई की. निलंबन काल में उन्हें राजस्व परिषद से सम्बद्ध कर दिया गया है. इस मामले में अभी कुछ और अफसरों पर कार्रवाई की जा सकती है. बता दें कि 76 साल के कर्नल 1965 और 1971 के युद्ध में अपनी वीरता दिखाने के कारण 16 मेडल प्राप्त कर चुके हैं.

घटनाक्रम यह है कि नोएडा के सेक्टर 29 में कर्नल चौहान जिस मकान में भूतल पर रहते हैं उसकी पहली मंजिल पर एडीएम का परिवार रहता है. एडीएम पर आरोप है कि उन्होंने अवैध रूप से अपने फ्लैट में अतिरिक्त निर्माण करा लिया था. इससे कर्नल के घर की रोशनी और हवा में रुकावट आ रही थी जिस पर दोनों परिवारों में विवाद चल रहा था. मामला 14 अगस्त को गरमा गया. घर के पास पार्क में कर्नल और एडीएम की पत्नी के बीच विवाद हो गया. अपने रसूख का इस्तेमाल कर एडीएम ने कर्नल के खिलाफ मारपीट और एससी/एसटी एक्ट समेत कई धाराएं लगवा दीं. सेक्टर 20 कोतवाली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया.

इस बीच जब उनके फौजी साथियों को खबर मिली तो उन्होंने मोर्चा संभाल लिया और कर्नल के पक्ष में उतर आये. इस बीच जेल में बंद कर्नल ने जेलर के माध्यम से एडीएम व अन्य पर जानलेवा हमला कराने की शिकायत की. इसके बाद 18 अगस्त को एडीएम, पत्नी और उनके बेटे समेत सात लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ. एडीएम भूमिगत बताए जा रहे हैं लेकिन कल ही मीडिया के सामने आकर एडीएम ने अपनी सफाई दी कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की है. मेरा बेटा ग्रेजुएशन कर रहा है. वह तो इस मामले में कहीं था ही नहीं. एडीएम ने अपनी पत्नी का भी बचाव किया.

कर्नल वीपीएस चौहान केस
कर्नल वीपीएस चौहान की गिरफ्तारी के खिलाफ पूर्व सैन्य अधिकारियों ने मोर्चा संभाला था. (फाइल फोटो)

टिप्पणी

वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र त्रिपाठी ने इस मामले पर अपने फेसबुक वाल पर जो कुछ लिखा, यहां पेश है….

सरकार ने जो नया कानून बनाया है उसका कितना दुरुपयोग होगा, इसकी बानगी है रिटायर्ड कर्नल के साथ घटी यह घटना. एडीएम ने मारपीट करने के साथ उन पर एससी-एसटी कानून के तहत मुकदमा भी करा दिया. कर्नल साहब खुद प्रभावशाली थे और दिल्ली के करीब होने से नेशनल मीडिया का सपोर्ट भी मिल गया. पूर्व सैनिकों के कल्याण हेतु काम करनी वाली संस्थाएं भी मददगार साबित हुईं. काफी फजीहत के बावजूद वे संकट उबर गये और एडीएम पर कार्रवाई भी हो गई, लेकिन गांव जवार, कस्बों और छोटे शहरों में जो लोग इस कानून के तहत साजिशन फंसाये जायेंगे, उनका उद्धार कैसे होगा. उन्हें तो जेल की चक्की पीसनी ही पड़ेगी. इस कानून को लागू करने में पुलिस ने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल नहीं किया तो यह कानून पोटा और टाडा से भी खतरनाक साबित होगा.

मेरा मानना है कि समाज के किसी वर्ग के साथ अन्याय नहीं होना चाहिये लेकिन वोटों के लालच में किसी को ऐसा लालीपाप नहीं थमाना चाहिये कि वह उसके साथ-साथ औरों की सेहत के लिए भी हानिकारक साबित हो जाये. आप भी इस बात पर चिंतन जरूर कीजिये.

बड़ा सबक सिखाता है कर्नल वीपीएस चौहान का केस, क्या होगी अफसरों पर भी कार्रवाई