भारतीय जेलों में आपराधिक गतिविधियाँ ही नहीं बल्कि कट्टरता भी जेलों के प्रबन्धन व प्रशासन के लिए चुनौती बनती जा रही है. ये हालात कैदियों के साथ साथ जेलकर्मियों की सुरक्षा के लिए भी ख़तरनाक बनते जा रहे हैं. पुलिस अधिकारी, सुरक्षा और जेलों के विशेषज्ञ इन चुनौतियों के अलग अलग पहलुओं पर माथापच्ची करेंगे और उनसे निपटने का हल खोजने की कवायद में जुटेंगे. देश की विभिन्न जेलों और क्षेत्रों से दिल्ली आये इन विशेषज्ञों का दो दिन का सम्मेलन यहाँ गुरुवार से शुरू हो रहा है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी 12 सितंबर को नई दिल्ली में ‘जेलों में आपराधिक गतिविधियां और कट्टरता : कैदियों एवं जेल कर्मचारियों की असुरक्षा और उनका संरक्षण’ विषय पर आयोजित किये जाने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे. यह दो दिवसीय सम्मेलन पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) आयोजित कर रहा है. खुद सरकार ने माना है कि आपराधिक गतिविधियां एवं कट्टरता इन दिनों एक ज्वलंत मुद्दा है और कैदियों एवं जेल कर्मचारियों का संरक्षण समय की मांग है.
एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ इस सम्मेलन के दौरान तीन मुद्दों पर गौर किया जाएगा. पहला, व्यक्तिगत एवं गैंग के स्तर पर होने वाली विभिन्न आपराधिक गतिविधियों को समझना और असुरक्षित कैदियों एवं जेल कर्मियों के लिए सुरक्षा उपायों पर विचार करना. दूसरा, जेल में कट्टरता के विभिन्न पहलुओं को समझना और कट्टरता से निपटने के उपाय सुझाना और तीसरा अहम मुद्दा है, जेल कर्मियों के लिए सुरक्षा एवं संरक्षण मानक तैयार करना.
इस सम्मेलन के आयोजन का मकसद राष्ट्रीय स्तर पर समस्त रैंक के जेल कर्मियों के लिए एक उपयुक्त प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना है, ताकि वे न केवल अपने समकक्षों, बल्कि इस क्षेत्र के प्रख्यात अन्य विशेषज्ञों के साथ भी विभिन्न परिचालनगत एवं प्रशासकीय मुद्दों पर खुलकर अपने विचार साझा कर सकें. इसके साथ ही वस्तुपरक ढंग से जेल सुधारों को लागू करने के लिए मौजूदा समय की नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सुधारात्मक प्रशासन के कामकाज से जुड़ी सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों और मानकों की पहचान की जा सके.