फिटनेस टेस्ट में फेल होने पर बर्खास्त की गई पुलिस अधिकारी ने केस जीता

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कोरेन ब्राउन

यूनाइटेड किंगडम की मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स की पुलिस अधिकारी कोरेन ब्राउन का केस उन तमाम बलों के लिए एक नजीर हैं जिनमें पुरुषों और महिलाओं , दोनों को ही भर्ती किया जाता है . कोरेन ब्राउन जिस सिविलियन फ़ोर्स में तैनात थीं उसका काम यूके की संवेदनशील जगहों की सुरक्षा करना है.  बचपन से ही पुलिस फ़ोर्स में भर्ती होने का सपना संजोने वाली कोरेन ने खुद को काबिल बनाकर  योग्यता के बूते पर मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स की पुलिस अधिकारी का मुकाम भी हासिल कर लिया लेकिन कुछ अरसे बाद उनको बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि वह ब्लीप टेस्ट ( bleep test ) के  निश्चित स्तर 7.6 हासिल नहीं कर पाई थीं.

पुलिस अधिकारी कोरेन ब्राउन ने अपनी बर्खास्तगी के आदेश को  गलत करार देते हुए पंचाट ( ट्रिब्यूनल – tribunal) में चुनौती दी जिसमें कहा गया कि उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया गया है और उनको वैकल्पिक टेस्ट यानि चेस्टर ट्रेडमिल टेस्ट (chester treadmill test) का सही तरीके से मौका नहीं दिया गया.  कोरेन के वकील जिलियन मर्चेंट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह बर्ख्स्तागी गौर कानूनी और लिंग के आधार पर किया गया भेदभाव है .

ब्लीप टेस्ट के दौरान किसी भी प्रतिभागी को एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट तक दौड़ते हुए जाना और लौटना होता है और साथ ही हरेक चक्कर में उसकी स्पीड बढ़नी चाहिए. 2014 के बाद सभी सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए ब्लीप टेस्ट में 7.6 स्कोर हासिल करने का नियम बना दिया गया था . कोरेन ने जबकि इस टेस्ट में 6.7 का स्कोर हासिल किया था इसके बावजूद उन्हें अप्रैल 2017 में स्कॉटिश ( scottish)साइट पर तैनात कर दिया गया था.

कोरेन की वकील ने दलील दी थी कि महिलाओं की शारीरिक बनावट और कुछ कुछ विशेषताओं के कारण उनके लिए ब्लीप टेस्ट में उतना स्कोर हासिल कर पाना संभव नहीं है. यह स्कोर हासिल करना पुरुषों के लिए भले ही संभव हो लेकिन महिलाएं इसे हासिल नहीं कर सकतीं. लिहाज़ा महिलाओं के लिए इसके विकल्प के तौर पर  चेस्टर ट्रेडमिल टेस्ट उपलब्ध है जिसमे कुछ कुछ अंतराल के बाद ट्रेडमिल की स्पीड बढ़ाई जाती है.

कोरेन की वकील ने दलील दी कि चेस्टर ट्रेडमिल टेस्ट के दौरान कोरेन को उचित गाइडेंस नहीं दी गई थी. कोरेन के लिए यह एक तरह का पहला अनुभव था और टेस्ट लेते समय किसी ने उनको सहयोग नहीं किया . न ही दूसरा मौका दिया. पंचाट ने कोरेन के पक्ष  की तरफ से दी गई दलील में दम देखते हुए कोरेन के पक्ष में फैसला सुनाया. ट्रिब्यूनल ने माना कि यह लिंग के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से भेदभाव का केस है . वहीँ इस केस में शुरू से कोरेन का समर्थन करने वाली  द डिफेन्स पुलिस फेडरेशन  (the defence police fedration) ने इस  फैसले को ‘ बड़ी महत्वपूर्ण ‘ जीत बताया है . कोरेन को  अक्टूबर 2018 में नौकरी से निकाला गया था.

यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स पुलिस फायर आर्म्स ऑफिसर्स के लिए ब्लीप टेस्ट पूरा करने की ज़रूरत नहीं है.नौसैनिक मेडिसिन संस्थान ( institute of naval medicine ) ने इसके बदले में एक अन्य फिटनेस टेस्ट पहले से ही तैयार कर रखा है.  मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स ने इन बदलाव पर कोई टिप्पणी नहीं की. मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने फैसले पर गौर किया है लेकिन कानूनी प्रक्रिया चालू होने के कारण इस बारे मे टिप्पणी नहीं की जा सकती .