तकनीक और इंसान की शारीरिक व मानसिक शक्ति का तालमेल का ही नतीजा है कि चाँद तक पहुंचने के बाद अब अंतरिक्ष में इंसानी बसावट की भी बात सोची जा रही है लेकिन बावजूद इसके अपने अलग किस्म के प्राकृतिक गुणों व क्षमताओं की वजह से कई मामलों में अन्य जीव भी इंसान को ना सिर्फ पीछे छोड़ देते हैं बल्कि उनका कोई विकल्प ही नहीं होता. कुछ इसी तरह का तब ख्याल आता है जब किसी की नज़र इजरायली सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से अपनाई जाने वाली श्वान आधारित उस तकनीक पर जाता है जिसका प्रदर्शन इजरायली कम्पनी आर्म्सलॉक इजरायल (Armslock , Israel) और भारतीय कम्पनी टीवीएस के संयुक्त उपक्रम डिफेन्स सोल्यूशन्स (defence solutions) के, पांचवें अंतर्राष्ट्रीय पुलिस एक्सपो में लगे स्टाल पर रखे कुत्ते के पुतले की पीठ पर बंधे कैमरे पर जाती है. दरम्यानी काठी वाले कुत्ते की पीठ पर एक ऐसा कैमरा माउंट किया गया है जो हर मौसम और हालात में घंटों तक लगातार आवाजयुक्त वीडियो रिकार्ड ही नहीं करता बल्कि प्रेषित भी करता है.
यहाँ मौजूद विशेषज्ञ ने बताया कि कुत्ते की पीठ पर बंधा ये कैमरा हरेक सूरत में काम करता है. कुत्ता जहाँ भी जाएगा वहां के दृश्यों की रिकार्डिंग तो होती ही रहेगी, ये दृश्य दूर बैठकर या कंट्रोल रूम में भी देखे जा सकते हैं. ये चाहे सेटेलाइट से हासिल किये जाएँ या किसी और तकनीक से. ये कैमरा वीडियो के साथ साथ आवाज़ भी रिकार्ड करता है. यानि कुत्ते को जहां भी भेजा जाएगा वहां के पूरे हालात का अंदाजा कहीं से भी लगाया जा सकता है. करीब ढाई किलो का वजन है इस पूरी कैमरा किट का. इसका एक अर्थ ये भी है कि इस कैमरे को छोटी नस्ल के कुत्तों की पीठ पर माउंट नहीं किया जा सकता.
” कैनाइन माउंट कैमरे की बैटरी घंटों चलती है जो लीथियम तकनीक से इतर किसी अन्य बेहतर तकनीक से बनाई गई है” ये दावा इजरायली विशेषज्ञ ने किया लेकिन उस तकनीक को उन्होंने गोपनीय रखना ही बेहतर समझा. कैमरायुक्त कुत्ते का इस्तेमाल तरह तरह के ऑपरेशंस में किया जा सकता है. गश्त, पहरे या खोजबीन का काम हो अथवा आतंक निरोधक कार्रवाई. संवेदनशील और खतरनाक इलाके हों या घना जंगल, खतरनाक पहाड़ हों या अपराधियों के गुप्त ठिकाने सब जगह पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. ये ज़रूरत पड़ने पर दुश्मन की टोह लाने के लिए भी काम कर सकते हैं.
सुरक्षा, सुरक्षा उपकरणों और सुरक्षा प्रशिक्षण के मामले में पूरी दुनिया में अपना डंका बजवाने वाला इजराइल इस तकनीक का पहले से इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने छोटे शरीर वाले श्वानों पर भी इसे आजमाया है लेकिन उसके नतीजे कोई ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं रहे. कुछ और देश भी कुत्तों की पीठ पर कैमरे लगाकर उनसे ड्यूटी लेते हैं. बिना हैन्डलर के कैमरायुक्त कुत्ते का इस्तेमाल करने के लिए कुत्ते को ज़बरदस्त ट्रेनिंग देनी पडती है. अभी भारत की सुरक्षा या पुलिस संगठनों ने डॉग माउंट कैमरे का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है.
सुरक्षित होलस्टर :
दिल्ली के प्रगति मैदान में लगी प्रदर्शनी में इसी इसी स्टाल पर, ऐसे पिस्टल होलस्टर भी आकर्षण का केंद्र रहे जो पुलिसकर्मियों और सैनिकों के लिए काफी सुरक्षित जान पड़ते हैं. सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इस होलस्टर में पिस्टल को ना सिर्फ बेहतर तरीके से सुरक्षित रखा जा सकता है बल्कि ये होलस्टर दुर्घटनावश गोली चलने के खतरे से भी छुटकारा दिला देता है. इसकी भी तीन किस्में हैं. कलाई में बंधे ब्रेसलेट से कमांड देने के बाद ही होल्स्टर से पिस्टल निकलता है. यही नहीं इसकी एक किस्म ऐसी भी जिसमें होलस्टर पर फिंगर प्रिंट तकनीक काम करती है. जिसका पिस्टल होता है उसके ही फिंगर प्रिंट को होलस्टर पहचानता है.