न्यूयॉर्क. एक अनोखी तकनीक लड़ाई के समय सैनिकों को परंपरागत तरीके से 13 गुना अधिक तेजी से जानकारी हासिल करने और साथ ही जिंदगियां बचाने में मददगार हो सकती है. यह बात शोधकर्ताओं ने कही है, जिसमें एक भारतीय मूल का शोधकर्ता भी शामिल है. शोध दल ने पाया कि सस्ते, हल्के हार्डवेयर के इस्तेमाल और सहयोगी फिल्टरिंग क्रियान्वयन के जरिए सैनिक तेजी से जानकारी हासिल कर सकते हैं और उतनी ही तत्परता के साथ उसका समाधान कर सकते हैं, जैसे कि किसी वाहन में लगाए गए आईईडी के खतरों या हवाई युद्ध क्षेत्र के चित्रों से संभावित खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान करना.
अमेरिकी सैन्य अनुसंधान प्रयोगशाला के एक शोधकर्ता रोजगोपाल कनन ने कहा कि यह तकनीक आखिरकार अगली पीढ़ी के लड़ाकू वाहन पर लगे उपकरणों का हिस्सा बन सकती है, जो मिले-जुले वातावरण में युद्धक विमानों के लिए ज्ञान-संबंधी सेवाएं और उपकरणों की पेशकश करती है.
उन्होंने कहा कि यह कार्य रणनीतिक लाभ प्राप्त करने में मदद करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग शोध पहल पर सेना का ध्यान केंद्रित करने का हिस्सा है.
इस नए शोध पत्र ने फरवरी माह में कैलिफोर्निया के मॉन्टेरी में फील्ड प्रोग्रामेबल गेट आरेस विषय पर आयोजित 26वें एसीएम/एसआईजीडीए अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में सर्वश्रेष्ठ पत्र का पुरस्कार प्राप्त किया था.