भारतीय नौसेना में शामिल हुआ रूस में बना आईएनएस तुशिल

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रूस में कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में आईएनएस तुशिल को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

नवीनतम बहुउद्देश्यीय भूमिका वाले रडार से बच निकलने में सक्षम गाइडेड मिसाइल की युद्ध प्रणाली से लैस आईएनएस तुशिल (एफ 70) ins tushil (f 70 ) को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. रूस में कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड ( yantar shipyard )  में इस संबंध में एक 9 दिसंबर को कार्यक्रम हुआ जिसमें भारत रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह मौजूद थे .

इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में आईएनएस तुशिल की तैनाती को भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति का गौरवपूर्ण प्रमाण व भारत और रूस के बीच लम्बी चलने वाली दोस्ती में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, जो साझा मूल्यों, आपसी विश्वास तथा विशेष एवं रणनीतिक विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी से एक साथ बंधे हैं.

आईएनएस तुशिल बनाने के लिए रूस के साथ करार हुआ था और जुलाई 2013 में इस पर काम शुरू हुआ. आईएनएस तुशील को 2021 में पानी में उतार दिया गया था. कामयाबी के साथ तमाम ट्रायल पूरे होने पर इसे अब भारतीय नौसेना के बेड़े में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है .

राजनाथ सिंह ने आईएनएस तुशिल निर्माण को ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के प्रति रूस के सहयोग को भारत व रूस के बीच गहरी मित्रता का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि आईएनएस तुशिल समेत  कई अन्य जहाजों में भारत में निर्मित सामग्री लगातार बढ़ रही है. यह पोत रूसी और भारतीय रक्षा उद्योगों की सहयोगात्मक क्षमता का एक बड़ा प्रमाण है. रक्षा मंत्री ने कहा कि यह संयुक्त कौशल के माध्यम से तकनीकी उत्कृष्टता की ओर भारत की यात्रा की  शानदार मिसाल  है.

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना प्रथम प्रक्रिया कर्ता के रूप में समुद्र में अपने मित्रों को त्वरित व समय पर मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने के लिए हमेशा तैयार रहती है.

रक्षा मंत्री ने भारतीय समुद्री क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (सागर SAGAR ) के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नज़रिए को साकार करने के उद्देश्य से भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दोहराया और इस दृष्टिकोण को भारत की समुद्री नीति की मेरुदंड बताया, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता व आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना है.  उन्होंने कहा कि सागर सामूहिक सुरक्षा, समुद्री सहयोग तथा सतत विकास के प्रति भारत की वचनबद्धता का प्रतीक है और इस प्रतिबद्धता में हमें हमेशा रूस का सहयोग मिला है.

इस अवसर पर भारतीय नौसेना के  प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने परियोजना में शामिल सभी लोगों, विशेष रूप से शिपयार्ड श्रमिकों और सभी रूसी एवं भारतीय मूल के उपकरण निर्माताओं को उनके असाधारण कार्य, रूसी प्रणालियों के साथ भारतीय प्रणालियों के दोषरहित एकीकरण तथा इस परियोजना में प्राप्त गुणवत्ता क्षमता उन्नयन में योगदान के लिए बधाई दी.

कार्यक्रम में रूस के रक्षा उप मंत्री  अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन, कैलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी सर्गेयेविच बेसप्रोज्वानिख, रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर एलेक्सेयेविच मोइसेयेव, रूस में भारत के राजदूत  विनय कुमार और भारतीय एवं रूसी सरकारों व नौसेनाओं तथा रक्षा उद्योगों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.