भारत की राजधानी दिल्ली में पांच साल पहले की एक छोटी सी पहल इंटरनेशनल पुलिस एक्सपो का स्वरूप इस बार और निखरा और बहुआयामी दिखाई दिया. साल दर साल पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों और बचाव कार्यों के लिए इस्तेमाल होने वाले साजो सामान बनाने वाली देशी विदेशी कम्पनियों को अपने उत्पादों के लिए साझा मंच देने का ये प्रयास इस बार और भी सफलताएं लिए हुए था. पुलिस और ऐसी कई एजेंसियों के लिए आधुनिक दौर में ड्रोन और सीसीटीवी किस तरह मददगार हो सकते हैं, ये भी इस आयोजन ने बेहतरीन तरीके से बताने में कामयाबी हासिल की.
परम्परागत सीसीटीवी से अलग कई तरह के फीचर्स वाले कैमरे यहाँ दिखाई दिए. इन कैमरों के फीचर्स में साधारण वीडियो रिकॉर्ड करने के साथ साथ तरह तरह का डाटा भी संकलित करते हैं जो आकृति और चेहरे भी पहचान कर बता सकते हैं कि फलां व्यक्ति या वाहन उस क्षेत्र विशेष से कितनी बार गुजरा. ये फीचर्स जांच एजेंसियों को ना सिर्फ जांच में बल्कि सबूत जुटाने में भी मदद कर सकते हैं. ये तो एक बानगी भर है.
यहाँ ऐसा काफी कुछ दिखा जो भारतीय पुलिस के लिए ना सिर्फ फायदे का बल्कि आज के दौर में जरूरी भी है. मसलन पिस्टल को सुरक्षित तरीके से रखने के लिए होल्स्टर जो फिंगर प्रिंट तकनीक से जुड़ा है. तरह तरह की आपात परिस्थितियों और आपदा के वक्त काम करने के दौरान कर्मी को सुरक्षित रखने वाला सूट (लिबास), खास किस्म के जूते, दंगाइयों से निबटने के लिए भीड़ के बीच घुसते समय पुलिसकर्मी को सुरक्षित रखने वाले हल्के और व्यवहारिक प्रोटेक्टर सूट आदि. साइबर अपराधों से निपटने के लिए विकसित तकनीक और साफ्टवेयर भी इस पुलिस एक्सपो में थे.
इंटरनेशनल पुलिस एक्सपो का आयोजन करने वाली नेक्स्जेन एग्जिबिशन के वीके बंसल का कहना है कि इस प्रदर्शनी का मूल मकसद तो पुलिस को आधुनिक बनाने में मदद करना और सुरक्षा उद्योग में लोगों की जागरूकता बढ़ाना है. लेकिन एक खास मकसद ये भी है कि पुलिस और अन्य इन्फोर्समेंट एजेंसियों में काम करने वाले उन कर्मचारियों तक इस बात की जानकारी और ज्ञान पहुँचाना है जो असल में इन उपकरणों को इस्तेमाल करते हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि किस किस तरह की तकनीक देश विदेश में उपलब्ध है जो उनके काम को बेहतर बना सकती है.
प्रदर्शनी में आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, गुजरात पुलिस, सीमा सुरक्षा बल की अश्रु गैस इकाई (Tear Smoke Unit ) आदि ने हिस्सा लिया. कई राज्यों की पुलिस ने यहाँ अपने अधिकारियों के दल भेजे. केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महानिदेशक तो खुद प्रदर्शनी देखने आये. वहीं सेना के कई अधिकारियों और प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों ने भी इसमें रुचि दिखाई. पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य प्रान्तों के पुलिस अधिकारी यहाँ उत्पाद देखने और तकनीक समझने आये लेकिन हैरानी की बात है कि प्रदर्शनी स्थल से मात्र आधा किलोमीटर के फासले पर मौजूद दिल्ली पुलिस मुख्यालय से कोई वरिष्ठ अधिकारी यहाँ नहीं आया.
प्रदर्शनी में देशी विदेशी उत्पाद निर्माता और ट्रेडिंग कम्पनियों की बढ़ती संख्या और सहभागिता से आयोजक संतुष्ट हैं. प्रदर्शनी का अगला संस्करण यानि छठी अंतर्राष्ट्रीय पुलिस एक्सपो प्रगति मैदान में अगले साल मई में आयोजित किया जाएगा. वैसे इसी तरह की प्रदर्शनी बंगलादेश में भी लगाये जाने की कोशिश चल रही.