केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने घायल और बीमार जवानों को उन स्थानों से तुरंत अस्पताल पहुँचाने के लिए खास किस्म की मोटर साइकिल एम्बुलेंस लांच की हैं जहां परंपरागत चार पहियों वाली एम्बुलेंस पहुँच नहीं पाती या मदद के लिए देर से पहुँचती हैं. इनमें ऐसी जगह ज्यादातर नक्सल प्रभावित राज्यों के घने जंगलात में और कश्मीर के साथ साथ पूर्वोत्तर के दुरूह पहाड़ी इलाकों में हैं. इन मोटर साइकिल एम्बुलेंस को रक्षिता नाम दिया गया है. रक्षिता 350 सीसी इंजन वाली इनफील्ड मोटर साइकिल पर बनाई गई ऐसी एम्बुलेंस जिसमें ऐसे तमाम ज़रूरी साजो सामान हैं जिनकी ज़रूरत आपात स्थिति में किसी की जान बचाने के लिए पड़ती है.
सीआरपीएफ के महानिदेशक डा. ए पी महेश्वरी ने रविवार को बल के दिल्ली स्थित मुख्यालय पर इन मोटर साइकिल एम्बुलेंस को लांच किया. फिलहाल ऐसी 21 रक्षिता मोटर साइकिल एम्बुलेंस तैयार करके मैदान में उतारी गई हैं. देश के अलग अलग हिस्सों में आंतरिक सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था बनाने में स्थानीय पुलिस की मदद के लिए तैनात सीआरपीएफ में दुपहिया एम्बुलेंस की ज़रुरत काफी समय से महसूस की जा रही थी क्यूंकि इसके घायल या बीमार जवानों को कई बार वक्त पर आपात डाक्टरी मदद नहीं मिल पाती थी. जब तक एम्बुलेंस पहुँचती थी तब तक घायल या बीमार की हालत ज्यादा बिगड़ चुकी होती थी. कई बार तो ऐसे रास्ते भी होते हैं जहां से बड़ा वाहन गुज़र भी नहीं पाता. इन हालात को देखते हुए सीआरपीएफ ने 2018 में भारत के रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन ( DRDO डीआरडीओ) के इंस्टिट्यूट आफ न्यूक्लियर मेडिसन एंड अलाइड साइंसेस (इनमास – INMAS ) को ऐसा वाहन विकसित करने के लिए लिखा था.
इनमास ने सीआरपीएफ की ज़रूरत को देखते हुए समय समय पर सीआरपीएफ से इनपुट लेते हुए रक्षिता एम्बुलेंस बनाई. लांच के अवसर पर सीआरपीएफ के महानिदेशक डा. ए पी महेश्वरी ने इस काम को अंजाम देने के लिए इनमास और उसके विशेषज्ञों के प्रति आभार प्रकट किया. मोटर साइकिल एम्बुलेंस में ले जाये जाने वाले रोगी या घायल को उपचार देने की व्यवस्था तो है ही और अस्पताल या भर्ती करने के लिए निकटवर्ती चिकित्सा केंद्र तक पहुंचाने के दौरान रास्ते में ऑक्सीजन देने, ग्लूकोज़ चढ़ाने आदि जैसी व्यवस्था भी है. यही नहीं मोटरसाइकिल चालक मरीज़ की हालत पर भी, सामने लगे मॉनिटर से नज़र रख सकता है वो चाहे ऑक्सीजन लेवल हो या ब्लड प्रेशर. रोगी के लिए सीट भी ऐसी है जिससे उसे सवारी के दौरान रास्ते में तकलीफ़ भी कम हो और उसे बेहोशी जैसी हालत में भी सुरक्षित तरीके से ले जाया जा सके.