ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिलने के बाद 1947 से लेकर अब तक भारत में प्राकृतिक व मानवजनित आपदाओं और कर्तव्य का पालन करते हुए केन्द्रीय पुलिस संगठनों और राज्यों की पुलिस के 34844 जवान प्राण गंवा चुके हैं. उन सभी के नाम, भारत की राजधानी दिल्ली में नये सिरे से बनाये गये राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की दीवार पर अंकित हैं. इनमें से 424 जवान तो इसी साल शहीद हुये. शहीद पुलिसकर्मियों को पुलिस स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि देने के लिए यहाँ आये भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का लोकार्पण भी किया.
बलिदान के साथ गौरव की मिली-जुली संवेदनाओं के बीच स्मृति दिवस के इस कार्यक्रम में पुलिस परम्परा के साथ परेड और मातमी धुन वातावरण की शालीनता में वृद्धि कर रही थीं. स्मृति दिवस परेड की अगुआई राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के ग्रुप कमांडेंट सिमरदीप सिंह (12 SRG) ने की लेकिन इसमें अलग अलग केंद्रीय पुलिस संगठनों और अर्धसैन्य बलों के कुल 9 दल शामिल थे. बैंड सीमा सशस्त्र बल का था जिसके प्लाटून कमांडर इंस्पेक्टर गणेश दत्त पाण्डेय थे.
अपनी तरह का राजधानी दिल्ली में ये पहला ऐसा आयोजन रहा जहां देश के सेवारत शीर्ष पुलिस अफसर यानि इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन (भारतीय पुलिस सेवा के 1980 बैच) से लेकर सभी केन्द्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुखों या उनके वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी देखी गई. स्मारक पर श्रद्धांजलि स्वरूप पुष्पचक्र अर्पित करने वालों में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगा राम अहीर और किरेन रिजिजू तो थे ही उनकी कैबिनेट के और साथी हरदीप पुरी और विजय गोयल भी थे. पूर्व उप प्रधानमन्त्री व केन्द्रीय गृहमंत्री लाल कृष्ण अडवाणी के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी वहां प्रमुखता से दिखाई दिए. कार्यक्रम का मुख्य आयोजक इंटेलिजेंस ब्यूरो थे सो इसके तो ज़्यादातर वरिष्ठ अधिकारीयों की उपस्थिति लाज़मी थी. मंच संचालन भी आईबी के निदेशक राजीव जैन ने ही किया. गृह मंत्रालय के बड़े अफसरों ने भी शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किये.
स्मृति दिवस के इस कार्यक्रम में, हाट स्प्रिंग हमले की घटना के तीन गवाह भी आये जिनके 10 साथी जवान चीनी सेना के हमले में शहीद हो गये थे लेकिन ये सौभाग्यशाली रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनसे संक्षिप्त बात की और सम्मानित किया. पुलिस स्मृति दिवस केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के उन 10 शहीद जवानों की याद में मनाया जाना शुरू किया गया था जो 21 अक्टूबर 1959 को भारत चीन सीमा पर लद्दाख के ‘हाट स्प्रिंग’ (Hot Spring ) क्षेत्र में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के हमले में जान गंवा बैठे थे. समुद्र तट से 16000 फुट की ऊंचाई वाली इस जगह पर सीआरपीएफ का ये गश्ती दल अपने दो साथियों को खोजने निकला था जो अभियान से लौटे नहीं थे.
इस हमले में सीआरपीएफ के कुछ जवान घायल भी हुए थे जिन्हें चीन के सैनिकों ने कैद कर लिया था. शहीदों के पार्थिव शरीर भी चीन ने दस दिन बाद लौटाए थे.
एक साल में 424 ने प्राण दिए :
स्मृति दिवस पर परम्परा के मुताबिक़ उस वर्ष के शहीद पुलिसकर्मियों का ज़िक्र किया जाता है. तमाम यूनिट या राज्यों में शहीद साथियों को उनके नाम के साथ नमन किया जाता है लेकिन जहां ज्यादा तादाद हो वहां कुछेक नाम और बाकी के रैंक का ज़िक्र होता है.
इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख ने अपने उद्बोधन में बताया कि भारत में इस वर्ष पुलिस संगठनों के 424 कार्मिकों ने सेवा के दौरान प्राण त्यागे. उन्होंने राज्यवार और पुलिस संगठनों के नाम के साथ कार्मिकों की जो संख्या बताई उनमें सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों की जान उत्तर प्रदेश में गई. यहाँ 67 पुलिसकर्मी जान गंवा बैठे. दूसरे नम्बर पर आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर में 47 और तीसरा नम्बर नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ रहा जहाँ 25 पुलिस कर्मियों की शहादत हुई .वहीँ केन्द्रीय पुलिस संगठनों में सबसे ज्यादा जानों की क्षति सीमा सुरक्षा बल को झेलनी पड़ी जिसने एक साल में 40 जवान खोये. वहीँ भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के 34, केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 27 और असम रायफल्स के 8 कार्मिकों की जान गई.