नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किये गये लॉक डाउन के दौरान दक्षिण भारत के केन्द्र शासित क्षेत्र पुदुचेर्री में शराब की अवैध बिक्री और इससे जुड़े घोटाले का कच्चा चिट्ठा खोलने में पुलिस की भूमिका की उपराज्यपाल किरण बेदी ने जहां तारीफ़ की है, वहीं ताकीद भी किया है कि इस मामले की छानबीन के दौरान वे किसी भी तरह के दबाव में आकर दोषियों को बचाने की चेष्टा न करें. हालांकि अब इस मामले को केन्द्रीय जांच ब्यूरो के सुपुर्द कर दिया गया है लेकिन श्रीमती बेदी ने कहा कि किसी भी तरह का दबाव या इससे जुड़ी शिकायत होने पर पुलिसकर्मी सीधा पुदुचेर्री के पुलिस महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव को ओपन हाउस में भी बता सकते हैं. इससे पहले किरण बेदी ने इस मामले की जानकारी देने के लिए राज निवास के मुख्य शिकायत निवारण अधिकारी का व्हाट्सऐप नम्बर 95005 60001 सार्वजनिक किया था.
पुदुचेर्री में लॉक डाउन के दौरान शराब की अवैध बिक्री के ज़रिये सरकार को राजस्व के तौर पर धनराशि का नुकसान हुआ और इस काण्ड में स्थानीय प्रशासन, आबकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई. इस सिलसिले में यहाँ की 100 से ज्यादा उन दुकानों के लाइसेंस निलम्बित किये जिन्हें भारत में बनी अंग्रेजी शराब (आईएमएफएल), ताड़ी या अरक बेचने की इजाज़त थी. गैर कानूनी शराब बिक्री और इसमें सरकारी अफसरों की मिलीभगत की शिकायत मिलने पर इस पूरे मामले की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई थी और कुल मिलाकर 236 केस दर्ज किये गये थे. इतना ही इन मामलों में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. कुछ अधिकारियों का तबादला भी किया गया. गिरफ्तार लोगों में पुलिस समेत, आबकारी विभाग के भी अधिकारी भी थे. साफ़ सुथरी जांच सुनिश्चित करने की गरज से आबकारी विभाग के उपायुक्त तक को हटा दिया गया. मामला राजनीतिक तौर पर भी संवेदनशील बन गया था लिहाज़ा इसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया. सीबीआई ने पिछले साल ही यहाँ अपना दफ्तर खोला है.
उपराज्यपाल और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इस पूरे प्रकरण को लेकर आज पुलिस अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए ऑडियो संदेश जारी किया. अंग्रेज़ी के इस ऑडियो का तमिल भाषा में अनुवाद भी जारी किया गया है. इससे सुनने से साफ़ पता चलता है कि आने वाले समय में ये मामला और तूल पकड़ेगा क्यूंकि इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार बन्दरबांट हुई है जिसमें बड़े और रसूखदार लोगों की भूमिका है. शायद यही वजह है कि उपराज्यपाल किरण बेदी ने अपने सम्बोधन में दोहराते हुए जोर देकर कहा है कि पुलिस अधिकारी किसी भी तरह के दबाव में ना आयें और यदि उन्हें महसूस होता है कि उन्हें कुछ बताना है अथवा शिकायत है तो वो अपने वरिष्ठ अधिकारी से कहें. साथ ही वो चाहें तो मामला सीधे पुलिस प्रमुख तक पहुंचाएं. किसी भी रैंक का पुलिस कर्मी इसके लिए डीजीपी बाला जी श्रीवास्तव से खुद जाकर मिल सकता है.
श्रीमती बेदी ने इस मामले में ख़ास तौर से आबकारी पुलिस अधिकारियों को ताकीद की है जो सीबीआई की तरफ से की जाने वाली जांच का हिस्सा होंगे. पुलिस में से ही चुने गये ये वो अधिकारी हैं जो आबकारी मामलों के विशेषज्ञ होते हैं और ऐसे मामलों में शासन की मदद करते हैं. उपराज्यपाल ने उन्हें खबरदार किया है कि वो किसी तरह की मिलीभगत या दबाव के कारण किसी को भी बचाने की कोशिश न करें. उनका कहना था कि सीबीआई से इस मामले में कोई बख्शा नहीं जाएगा.