श्रद्धांजलि..! और इस तरह चल दिए आईपीएस अजय राज शर्मा

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पूर्व आईपीएस अधिकारी अजय राज शर्मा (फाइल फोटो )

भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अजय राज शर्मा  (ajai raj sharma ) का  निधन हो गया है . उनकी गिनती  देश के तेज़ तर्रार पुलिस अफसरों में होती थी .  80 वर्षीय  अजय राज शर्मा कुछ साल से,  बढ़ती उम्र में होने वाली व्याधियों की  चपेट में आते  जा रहे थे लेकिन हाल में उनकी तबीयत  कुछ ज्यादा  बिगड़ गई  थी.  श्री शर्मा को  उपचार के लिए नोएडा के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां सोमवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. दिल्ली में लोधी कालोनी स्थित शवदाह गृह में कल ( 12 फरवरी 2025)   उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा  .

अजय राज शर्मा  1966 बैच के उत्तर  प्रदेश कैडर के आईपीएस थे. वह रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर के थे लेकिन सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक पद से  रिटायर्मेंट के बाद से  दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के शहर नोएडा में  सेक्टर 44 में रह रहे थे. उनके बेटे यश शर्मा ने बताया कि उनके पिता को 25 जनवरी को कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मधुमेह का रोग तो उनको काफी पहले से लगा हुआ था लेकिन बाद में अत्यधिक रक्तचाप व हृदयरोग ने उनको घेर लिया था. अत्यधिक वजन के साथ उनके घुटनों की तकलीफ भी थी जिसकी उन्होंने सर्जरी भी कराई थी .

एक ज़मींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले अजय राज शर्मा के पिता पंजाब प्रांत से आकर मिर्ज़ापुर में बस गए थे . अजय राज शर्मा ने 1956 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जाने से पहले देहरादून के सेंट जोसेफ अकादमी में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की.  उन्होंने क्रिश्चियन पब्लिक स्कूल में अध्ययन किया और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया. यहीं से   उन्होंने 1965 में अपनी मास्टर डिग्री भी पूरी की.   पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी ( upsc ) की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और पहली ही कोशिश में ही इसे पास कर लिया. वह 1966 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गए.

उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील कई  जिलों में अजय राज शर्मा ने बतौर आईपीएस अधिकारी सेवा की है. राज्य में  स्पेशल टास्क फोर्स  ( stf  ) बनाने और उसका नेतृत्व करने का श्रेय भी उनको दिया जाता है. खासतौर से गठित यह एक विशिष्ट बल था जिसने उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से संचालित कई कुख्यात गिरोहों का खात्मा किया  .

श्री शर्मा 2004 में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक  ( director general of border security force) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. यह बल दुनिया भर में किसी भी देश की सीमा के सुरक्षा प्रबंध करने वाला सबसे बड़ा पुलिस बल है . बीएसएफ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी  भारत की सीमाओं की सुरक्षा करता है.

आईपीएस अधिकारी अजय राज शर्मा का करियर  उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों की पुलिसिंग से शुरू हुआ.  कुख्यात चंबल घाटी के डाकुओं और गुंडों से लड़ते हुए, राजनीतिक रूप से संवेदनशील व  सांप्रदायिक रूप से अस्थिर जिलों की ज़िम्मेदारी लेते हुए पुलिस अफसर के तौर पर उनका सफर देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा . आईपीएस अजय राज शर्मा को साल 1999 में  ऐसे समय में दिल्ली पुलिस बल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया जब राजधानी क़ानून व्यवस्था व्सुरक्षा को लेकर संकट में थी.  यूपी कैडर से लाकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बनाए  वह पहले अधिकारी थे.  यह निर्णय केंद्र गृह मंत्री रहे लाल कृष्ण आडवाणी के कार्यकाल में लिया गया था . हालांकि अजय राज शर्मा के कार्यकाल में ही दिल्ली अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले का गवाह बनी थी. यह था साल 2001 में  संसद भवन पर हुआ हमला.

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सत्ता के केंद्र व  सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले  संसद भवन पर यह महज़ एक आतंकवादी हमला नहीं था बल्कि एक तरह से देश को मिली आतंकी चुनौती थी जिसकी साज़िश के तार देश विदेश से जुड़े थे. राजधानी की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अपने कन्धों पर होने के बावजूद अजय राज शर्मा उस हाल में भी बौखलाए नहीं. इस मामले की छानबीन पूरी करके अपराधियों की गिफ्तारी व केस को आखिरी अंजाम तक पहुंचाया गया.

अपराधियों पर नकेल कसने के साथ साथ अजय राज शर्मा की छवि एक ऐसे कड़क और अनुशासित पुलिस अफसर की भी थी जो मातहत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की गलतियों और लापरवाहियों पर भी असरदार कार्रवाई करता था. दिल्ली पुलिस के आयुक्त रहने के दौरान भी उनके ऐसे कई किस्से सुने और सुनाये जाते हैं . 2002 में  दिल्ली पुलिस के आयुक्त का कार्यभार पूरा करने के बाद उनको सीमा सुरक्षा बल की कमान सौंपी गई थी . अजय राज शर्मा ने अपने पुलिस जीवन के अनुभवों और ज्ञान को एक पुस्तक के रूप में भी समेटा. रूपा पब्लिकेशन की छापी अजय राज शर्मा की या किताब ‘बाइटिंग द बुलेट ‘ ( biting the bullet) पुलिस अधिकारियों के लिए एक तरह की गाइड का काम भी कर सकती है .

अजय राज शर्मा की राजनीति और खेलों में ख़ास रूचि थी . सेवानिवृत्ति के बाद  वह खुद भी राजनीति में जाने की इच्छा रखते थे. इस बारे में उन्होंने एक  बार इस संवाददाता से चर्चा भी की थी लेकिन वह अपनी शर्तों व पसंद की पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ना चाहते थे. वैसे  मौके बन नहीं सके .