भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आलोक वर्मा ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई-CBI) का काम फिर से सम्भालते ही उन अधिकारियों के तबादले करके उन्हें वापस पुराने उन पदों पर बहाल कर दिया जिन्हें उन्हें (अलोक वर्मा को) जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के बाद हटाया गया था. 77 दिन बाद, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बहाल आलोक वर्मा ने बुधवार को सीबीआई मुख्यालय पहुंचकर फिर से सीबीआई निदेशक का काम सम्भाला.
भारतीय पुलिस सेवा के 1979 बैच के अधिकारी आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के ओहदे पर बनाए रखने और इससे जुड़े पहलुओं पर विचार के लिए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश मुताबिक़ बुलाई गई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय चयन समिति की बैठक में अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका. ये बैठक भी बुधवार को ही बुलाई गई क्यूंकि कोर्ट ने कहा था कि ये बैठक एक हफ्ते के अन्दर हो जानी चाहिए. अब बैठक गुरुवार 10 जनवरी को होगी.
उल्लेखनीय है कि यही उच्च स्तरीय चयन समिति सीबीआई निदेशक की नियुक्ति का फैसला लेती है लेकिन आलोक वर्मा को जबरन 23 अक्टूबर की आधी रात छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला लेते समय सरकार ने समिति की बैठक नहीं बुलाई थी. आलोक वर्मा को 31 जनवरी को रिटायर होना है. बुधवार को समिति की बैठक में सवाल उठा कि क्या उनका कार्यकाल 77 दिन बढ़ाया जायेगा? बैठक में, विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस के नेता के तौर पर समिति के सदस्य की हैसियत से शामिल हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के पूरे घटनाक्रम का ब्योरा भी चाहा.
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आलोक वर्मा को बहाल करने के आदेश देते वक्त ये भी कहा था कि जब तक समिति कोई फैसला नहीं ले लेती तब तक आलोक वर्मा कोई बड़ा निर्णय नहीं ले सकते. आलोक वर्मा ने जिन अधिकारियों को पुराने पदों पर बहाली सम्बन्धी आदेश दिये है उनमें कुछ वे अफसर भी हैं जिन्हें आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला लेते ही तुरंत हटाया गया था. हालाँकि इसमें एक ऐसा स्थानांतरण आदेश रद नहीं किया गया जो अंतरिम निदेशक के तौर पर तैनात किये जाने के बाद सीबीआई के मुखिया के तौर पर आईपीएस एम नागेश्वर राव ने लिया था. अधिकारियों के तबादला सम्बन्धी आदेश को प्रशासनिक निर्णय माना जा रहा है.