सीआरपीएफ शौर्य दिवस पर वीरों का सम्मान , शानदार काम के लिए असाधारण आसूचना पदक दिए

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सीआरपीएफ के महानिदेशक ने सरदार पोस्ट बैटल के एकमात्र जीवित योद्धा किशन सिंह को सम्मान प्रदान किया
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ – CRPF) ने 48 वीरता पदक प्राप्तकर्ताओं को उनकी अनुकरणीय बहादुरी के लिए सम्मानित किया. उनके अलावा 8 अन्य अधिकारियों और कर्मियों को असाधारण आसूचना पदक से सम्मानित किया गया.  यह पदक कामयाब ‘ ऑपरेशंस ‘ के लिए जानकारी प्रदान करने में सराहनीय सेवा के लिए दिए गए .  यह सम्मान समारोह सरदार पोस्ट की लड़ाई ( battle of sardar post ) की स्मृति  में ‘शौर्य  दिवस’ ( valour day ) के अवसर पर  9 अप्रैल को  आयोजित किया गया था.
सीआरपीएफ ने मंगलवार को  उन बहादुर आत्माओं को श्रद्धांजलि देते हुए ‘ शौर्य  दिवस’ मनाया, जिन्होंने कच्छ के रण में ऐतिहासिक ‘सरदार पोस्ट की लड़ाई’ के दौरान वीरतापूर्वक हमारे देश के सम्मान की रक्षा की.

सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह ने नई दिल्ली में चाणक्य पुरी  स्थित राष्ट्रीय  पुलिस स्मारक पर एक समारोह में शहीद नायकों के सम्मान में पुष्पांजलि अर्पित की. श्रद्धांजलि के  बाद दिन में वह ‘ शौर्य सीआरपीएफ ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट ‘ में एक सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सम्मानित अतिथियों में सरदार पोस्ट बैटल के एकमात्र जीवित योद्धा किशन सिंह भी शामिल थे, जिनकी वीरतापूर्ण कहानियाँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती हैं. किशन सिंह को महानिदेशक श्री सिंह ने स्मृति चिन्ह भेंट करके  सम्मानित किया.

अपने संबोधन में सीआरपीएफ प्रमुख अनीश दयाल सिंह ने देश की सुरक्षा में सीआरपीएफ कर्मियों के समर्पण की सराहना की.  उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, उत्तर पूर्व में उग्रवाद और वामपंथी उग्रवाद-प्रवण क्षेत्रों में माओवाद जैसी विविध चुनौतियों का सामना करने में बल की वीरता और बलिदान की परंपरा को बनाए रखने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया.

सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह ने नई दिल्ली में चाणक्य पुरी स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर एक समारोह में शहीद नायकों के सम्मान में पुष्पांजलि अर्पित की.

उन्होंने गर्व के साथ  सरदार पोस्ट की लड़ाई, हॉट स्प्रिंग की लड़ाई, संसद पर हमले और हाल ही में छत्तीसगढ़ के बासागुड़ा में माओवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान बहादुरी और बलिदान के उदाहरणों को याद किया, जहां सीआरपीएफ ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर 13 माओवादियों को मार गिराया और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की.

श्री सिंह ने नागरिकों के बीच सीआरपीएफ की बढ़ती विश्वसनीयता पर प्रकाश डाला और उन्हें आंतरिक सुरक्षा का प्रहरी बताया.  उन्होंने महिला सशक्तिकरण के प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित करते हुए देश भर में सीआरपीएफ की महिला बटालियनों के किए काम की तारीफ़ की .

सीआरपीएफ के महानिदेशक ने “वीर नारियों” और शहीदों के परिवारों को आश्वासन दिया कि सीआरपीएफ उनके कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और उनकी शिकायतों का तुरंत समाधान करने के लिए चट्टान की तरह मजबूती से उनके साथ खड़ा है.  उन्होंने कर्मियों के परिवारों के प्रति उनके बलिदान के लिए आभार व्यक्त किया और सभी सदस्यों से शहीद नायकों की अनुकरणीय विरासत को सम्मान, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ बनाए रखने का आग्रह किया.
हर साल 9 अप्रैल को मनाया जाने वाला शौर्य दिवस, 1965 में गुजरात के कच्छ के रण में सरदार पोस्ट की लड़ाई के दौरान सीआरपीएफ सैनिकों द्वारा प्रदर्शित असाधारण वीरता की याद दिलाता है. ज़बरदस्त दिक्कतों  का सामना करने के बावजूद, मात्र 300 सीआरपी  कर्मियों न अपनी पोस्ट पर  पाकिस्तानी सेना की  ब्रिगेड के एक सुनियोजित हमले का करार जवाब देते हुए केवल बहादुरी से लड़ाई लड़ी और बचाव किया बल्कि  पाकिस्तानी सेना की  ब्रिगेड के एक सुनियोजित हमले करारा  जवाब देते हुए  राष्ट्र के लिए अंतिम बलिदान दिया.