सीबीआई में बेहतरीन जांच करने वाले अफसरों में गिने जाने वाले उप महानिरीक्षक (DIG) एनएम सिंह कई साल बाद, संयुक्त निदेशक (Joint Director – JD) के ओहदे तक पहुंचने वाले ऐसे पहले अफसर होंगे जो केंद्रीय जांच ब्यूरो में उपाधीक्षक (DSP) के पद पर भर्ती हुए थे. उनसे पहले इस मुकाम तक एम. नारायणन पहुंचे थे और ये बात 2009 की है. एनएम सिंह अभी उस स्पेशल टास्क फ़ोर्स के DIG हैं जो मणिपुर मुठभेड़ वाले मामलों की जांच कर रही है. उनके बाद इस ओहदे तक उन कुछ और अफसरों के पहुंचने का रास्ता बनेगा जो उन्हीं की तरह सीबीआई में DSP के तौर पर भर्ती हुए थे.
एनएम सिंह सीबीआई के उन 20 अधिकारियों में से हैं जिन्हें 2016 में राष्ट्रपति के विशिष्ट सेवा पुलिस मेडल से नवाज़ा गया था. दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक़ एनएम सिंह की JD (महानिरीक्षक-IG) के तौर पर तरक्की के प्रस्ताव की फ़ाइल कार्मिक मंत्रालय के पास भेजी जा चुकी है. सीबीआई इसी मंत्रालय के अधीन है. मंत्रालय के बाद ये फ़ाइल लोक संघ सेवा आयोग (UPSC) को भेजी जायेगी जो इस बारे में जरूरी आदेश जारी करेगा.
असल में, सीबीआई में JD की 18 पोस्ट हैं और उनमें से 4 पोस्ट उन अफसरों के लिए आरक्षित हैं जो CBI के ही रैंक में से हैं यानि CBI में ही सीधे भर्ती हुए हों, बाकी 14 पोस्ट पर आईपीएस अफसर तैनात किये जाते हैं. लेकिन योग्यता पूरी न कर पाने की वजह से 2009 से अब तक ऐसा कोई अफसर इस ओहदे तक नहीं पहुंच पाया जो संगठन में सीधा भर्ती हुआ हो. इसलिए उन पोस्ट पर भी आईपीएस सेवा के अफसरों को तैनात किया जाता है. एनएम सिंह के बाद दो और DIG इस पद के योग्य हो जायेंगे.
वैसे 2001 के बाद से CBI में सीधा डीएसपी भर्ती करने की प्रक्रिया रोक दी गई थी. आज भी सीबीआई में ज्यादातर लोग वो हैं जो सिपाही या सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए. सामान्यत: सीबीआई में भर्ती हुआ सब इंस्पेक्टर सेवानिवृत्ति तक पहुंचते पहुंचते पुलिस अधीक्षक के ओहदे तक पहुंच पाता है. लेकिन जांच के लिहाज़ से ज्यादा तजुर्बेकार यही अफसर होते हैं.