सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए बोर्ड की पारदर्शिता

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सांकेतिक तस्वीर

अब दिल्ली दूर नहीं …! जी हाँ भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के ज़रिये शामिल हुई उन कई अधिकारियों को वो सपना जल्दी साकार होता दिखाई दे रहा है जिन्होंने सेना को एक स्थायी करियर की तरह वैसे ही देखा था जो उनके समकक्ष पुरुष अधिकारी ही पूरा कर पाते थे. कानूनी लड़ाई और यहाँ तक कि सरकार की इस मामले में नकारात्मक सोच का सामना करने के बाद महिला अधिकारियों को अब लम्बे समय तक वर्दी धारण कर देश सेवा का मौका मिल रहा है.

एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (Permanent Commission – पीसी) देने की जांच के लिए गठित विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड ने 14 सितंबर को सेना मुख्यालय में कार्यवाही शुरू की है. बोर्ड का नेतृत्व एक वरिष्ठ जनरल अधिकारी करता है और इस बोर्ड में ब्रिगेडियर रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल होती है. प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए महिला अधिकारियों को पर्यवेक्षकों के रूप में कार्यवाही को देखने की अनुमति दी गई है.

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प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने वाली महिला अधिकारियों को न्यूनतम स्वीकार्य चिकित्सा श्रेणी में पाये जाने के बाद स्थायी कमीशन दिया जाएगा.

भारतीय सेना में फिलहाल 10 विभागों में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन दिया जा रहा है जिनमें थल सेना हवाई रक्षा (आर्मी एयर डिफेन्स-AAD ), सिग्नल्स, इंजीनियर, सेना विमानन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मैकेनिकल इंजीनियर, थल सेना सेवा कोर (ASC), सैन्य आयुध कोर (AOC) और गुप्तचर (इंटेलिजेंस) कोर शामिल हैं. सेना में महिला अधिकारियों को दो शाखाओं, न्यायाधीश एवं महाधिवक्ता (जेएजी) और शिक्षा कोर (AEC) में पहले से ही स्थायी कमीशन देने की व्यवस्था है.

महिलाओं का सेना में पुरुषों की बराबर के ओहदों और खासतौर पर युद्ध मोर्चे से सम्बन्धित शाखाओं में स्थायी कमीशन देने में सरकार और सैन्य नेतृत्व शुरू से ही हिचकिचाहट दिखाता रहा है और इसके पीछे तरह तरह की आशंकाओं के मद्देनजर दलीलें भी दी गई हैं. बच्चों के लालन पालन, मातृत्व, शारीरिक विक्षमता और पुरुष सैनिकों का ग्रामीण परिवेश वगैरह जैसी कई दलीलें इनमें शामिल थीं. लिहाज़ा कुछ महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी जो लम्बी चली. अदालतों ने सरकार और सैन्य नेतृत्व की तमाम दलीलों को दरकिनार कर दिया.

वर्तमान में भारत की थल सेना में मात्र 3 .89 प्रतिशत महिलाएं हैं जबकि नौसेना में 6 .7 प्रतिशत और भारतीय वायु सेना में 13 .28 प्रतिशत महिलायें हैं.