हवलदार जसमेर सिंह, सहायक उपनिरीक्षक राजपाल और निरीक्षक प्रवीन यादव – तीनों ही दिल्ली पुलिस के अधिकारी हैं जो भारत की राजधानी दिल्ली की पुलिस में अलग अलग जगह पर तैनात हैं. जुदा जुदा रैंक वाले इन हेड कांस्टेबल, एएसआई और इंस्पेक्टर में एक समानता भी है. दिल्ली पुलिस के इन तीनों ही परिवारों में एक सी ख़ुशी आई है. तीनों के ही बेटों ने बीते साल संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा इतने अच्छे रैंक से पास की है कि जो चाहे स्ट्रीम ले सकते हैं, आईएएस या आईपीएस या कुछ और भी लेकिन तीनों ही प्रशासनिक सेवा के ही अधिकारी बनना चाहते हैं.
परिवार नम्बर -1
इनमें से अंकित यादव का 191 रैंक है. अंकित के पिता इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार यादव है और वो अपना सपना बेटे में देखकर खुश हैं. उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण यादव का कहना है कि स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद वह भी UPSC की परीक्षा पास करने की कोशिश में जुटे रहे और तीनों प्रयासों में प्री और मेन परीक्षा पास की लेकिन इंटरव्यूह राउंड क्लियर नहीं हो पाया. इसका उन्हें काफी मलाल रहता है लेकिन बेटे अंकित ने कामयाबी हासिल कर ली जो ख़ुशी के साथ सकून की भी बात है.
हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन थाने के एसएचओ श्री यादव की पत्नी सत्तोदेवी भी दिल्ली पुलिस में सब इन्पेक्टर हैं. वर्दी से इस परिवार का खास नाता है, फिर वो खाकी हो या ओलिव ग्रीन. इंस्पेक्टर प्रवीण के एक भाई भारतीय सेना में कर्नल (डाक्टर) हैं तो एक और भाई केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF ) में कमांडेंट लेकिन अंकित का रुझान कुछ और है.
माता पिता दोनों ही नौकरीशुदा हों और वो नौकरी भी पुलिस की हो तो बच्चों पर ध्यान अपेक्षकृत कम होना स्वाभाविक ही है. ऐसी सूरत में अंकित को दादा दादी से विशेष लगाव हो गया जो उसका ज्यादा ख्याल रख पाते थे. विकासपुरी के आदर्श पब्लिक स्कूल से 12 वीं पास करने के बाद अंकित ने आईआईटी दिल्ली से बी टेक और एम टेक किया. अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने पीएचडी के लिए पूर्ण स्कालरशिप भी दी. वह लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स भी गये लेकिन अपनों और अपने देश से दूरी बर्दाश्त न कर पाने वाला ये युवक भारत आ गया. यहाँ कृषि सुधार और डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में अंकित काम करना चाहता है. वैसे उसके एक चाचा भी गाँव में खेतीबाड़ी देखते हैं.
परिवार नम्बर -2
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में तैनात हेड कांस्टेबल जसमेर सिंह अपने पुत्र सुधीर कुमार की कामयाबी पर फ़ख्र के साथ कहते हैं कि हमारे कुनबे में इस मुकाम तक पहुँचने वाला सुधीर पहला शख्स है. सुधीर ने इस परीक्षा में 42 वां रैंक हासिल किया है. जसमेर सिंह के पिता भी दिल्ली पुलिस में थे और बतौर हवलदार रिटायर हुए. हरियाणा के सोनीपत जिले के मूल निवासी जसमेर को ख़ुशी इस बात की भी है कि सुधीर ने अपने दम पर ये कामयाबी हासिल की. सुधीर की पढ़ाई हरियाणा के ही बहादुरगढ़ के एक स्कूल में हुइ. जसमेर बताते है कि सुधीर में छुटपन से ही प्रतिभा थी. ये चौथी कक्षा की बात है जब स्कूल प्रिंसिपल ने उनसे कहा था, ‘आपका बेटा बहुत ऊँचाई तक जायेगा’… जसमेर एक दिलचस्प इतेफाक का भी ज़िक्र करते हैं जिसका ताल्लुक दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर भीम सेन बस्सी से है. जसमेर सिंह को याद आया कि सुधीर का दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कालेज में बीएससी (फिज़िक्स आनर्स) में दाखिला करवाकर बाहर निकलते वक्त वह बोले थे कि इस कालेज में जो दाखिल लेता है वो IAS या IPS जैसा बड़ा अफसर बनता है और बस्सी साहब भी यहीं पढ़ के निकले हैं.’ …और मजेदार इतेफाक देखिये कि सुधीर के सामने प्रेरणा के तौर पर जिस नाम का ज़िक्र किया गया वही अधिकारी यानी श्री बस्सी UPSC के उस पैनल में सदस्य के तौर मौजूद थे जिसने सुधीर का इन्टरव्यू लिया.
खुद ज़्यादा नहीं पढ़ सके और 1986 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए जसमेर खुद को बेहद भाग्यशाली मानते हैं. उनकी बेटी निकिता बहादुरगढ़ में डाक्टर (डेंटिस्ट) है और छोटा बेटा शेखर बीटेक कर रहा है. सुधीर का कहना है कि पिता से मिले अनुशासन और आत्मविश्वास का उनके करियर में बहुत बड़ा योगदान है. दादा और पिता दोनों का पुलिस में होना इस परिवार को हमेशा अनुशासन के सबक सिखाता रहा है. लेकिन सुधीर पुलिस सेवा चुनकर IPS बनने की जगह IAS क्यूँ बनना चाहते हैं? सुधीर का जवाब है, ‘प्रशासनिक सेवा में समाज के लिए करने के मौके ज़्यादा मिलते हैं’. सुधीर संकीर्ण विचाधारा को दूर करने और जन कल्याण के कामों में खुद के लिए ज्यादा ज़मीन देखते हैं.
परिवार नम्बर -3
जिस तीसरे परिवार की अब यहाँ बात हो रही है वह दिल्ली पुलिस के ASI राजपाल का परिवार है जो हरियाणा के सोनीपत के गोहाना से ताल्लुक रखता है. दिल्ली पुलिस में 1988 में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए राजपाल ने 2007 में हेड कांस्टेबल की परीक्षा पास की और जल्दी तरक्की मिल गयी. वह 2015 सहायक उप निरीक्षक बने. अब वो, दिल्ली वालों के लिए हरदम हर मौसम में सड़कों पर तैनात रहने पुलिस नियंत्रण कक्ष में तैनात हैं. उनके बेटे अंकित कुमार पन्नू ने दूसरे प्रयास में UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए 31वां रैंक हासिल किया है. इससे पहले 2016 में भी वो ये इम्तिहान क्लियर कर चुके हैं लेकिन तब उनका रैंक 444 था यानि उन्हें IRS में मौक़ा मिलता जो अंकित को मंज़ूर न था.
दिल्ली के शालीमार बाग स्थित माडर्न पब्लिक स्कूल से 12 वीं पास करने के बाद अंकित ने बीटेक किया. अंकित के जीवन का मूल मन्त्र है फोकस होकर काम करना. ये उनकी आदत में शुमार हो गया है. पढ़ाई के वक्त सिर्फ पढ़ाई और दोस्तों के साथ हो तो बात मौज मस्ती की सिर्फ. अंकित मानते हैं कि किसी भी समाज की व्यवस्था में भ्रष्टाचार का होना सबसे घातक है. अंकित कहते है, ‘करियर के दौरान निराश हताश व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान ला सकूँ, ये प्रयास रहेगा.’
रक्षक न्यूज़ डाट इन (www.rakshaknews.in) की तरफ से उपरोक्त तीनों परिवारों को शुभकामनाएं और तीनों नौजवानों के करियर की सफलता की कामना की जाती है. अगर आपको ये आलेख अच्छा लगा हो तो टिप्प्णी ज़रूर करें और इसे शेयर भी करें. यह कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है.